Saturday, October 6, 2018

09...आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें

सादर अभिवादन
बातें बाद में करेंगे
पहले पढ़े एक तर्पण ऐसा भी.....
अनुराग जी शर्मा......
“जी नहीं, मैं यहाँ नहीं रहता, कर्नाटक से तीर्थयात्रा के लिये आया था। गंगाजी में पितृ तर्पण 
करने के बाद यूँ ही सैर करते-करते इधर निकल आया।”

“हर व्यक्ति, हर काम फ़ायदे के लिये करता तो संसार में कुछ भी न बचता ...
” वह मुस्कुराया, “खेत किसका है, मालिक कौन है, इससे मुझे क्या?”

“हैं!?”  “... भूड़(बालुई जमीन) में सूखती फसल देखी तो लगा कि इसे भी 
तर्पण की आवश्यकता है।”

डॉ. दयाराम आलोक बता रहे हैं सोमरस के फायदे.....
प्राचीन ग्रंथों व वेद-पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर 
का कायाकल्प हो जाता है। देवी-देवता व मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने 
एवं बल सामर्थ्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे। इस पौधे की खासियत है कि इसमें 
पत्ते नहीं होते। यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस 
ऋग्वेद में सोमरस के बारे में कई जगह वर्णन है। एक जगह पर सोम की इतनी उपलब्धता और प्रचलन दिखाया गया है कि इंसानों के साथ-साथ गायों तक को सोमरस भरपेट खिलाए और पिलाए जाने की बात कही गई है।
(और भी बहुत कुछ है इस ब्लॉग में)

डॉ. जगदीश व्योम की ऐतिहासिक कविता
औ' हमारे 
कवच-कुंडल छिन चुके हैं 
इन्द्र का छल - 
सूर्यकुल की आस्थाएँ भी बिलाईं 
धुआँ में हम घिरे 
देती नहीं घटनाएँ दिखाईं 
रक्त बहता 
पाँव से है 
देह में भाले भुँके हैं 

हम लोग सड़क के किनारे ठंडी हवा में गरमा-गर्म चाय एवं स्नैक्स का आनंद ले ही रहे थे कि लकड़ियों के लठ्ठे से भरी हुई एवं धूल उड़ाती दस-बीस ट्रेक्टर से शुरू हुई कारवां सैकड़ो में बदल गई. हमलोग तरोताज़ा हो कर करीब दो किलोमीटर चले तब भी कारवां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही था. हमलोगों के लिए यह कौतूहल का विषय था कि आखिर इतनी लकड़ियाँ कहाँ से आ रहीं हैं और कहाँ जा रहीं हैं. 

खैर ! इन सब के बीच हमलोगों का हरिद्वार पहुँचने के निर्धारित समय में एक घंटा का विलंब हो गया और जिसकी तमन्ना नहीं थी वही हुआ और हमलोगों को हरिद्वार से “हर की पौड़ी” के पास कार पार्किंग तक दो किलोमीटर का रास्ता तय करने में एक घंटा लग गया . “हर की पौड़ी” के पास ही कार पार्किंग थी. हमलोग सुबह साढ़े छः बजे “हर की पौड़ी” पर गंगा स्नान के लिए पहुँच गए. ऐसे तो “हर की पौड़ी” पर भक्त गंगा स्नान के लिए सूर्योदय से पहले ही पहुँचना शुरू कर देते है और देर रात तक गंगा स्नान चलता रहता है.


आज यहीं तक
फिर मिलते हैं न
यशोदा




6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण संकलन यशोदा दी

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  2. यशोदा बहन, आपने मेरी रचना को चर्चा का विषय बनाया आभार,सुन्दर प्रस्तुति,इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।

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  3. जी दी बहुत सुंदर रचनाओं का बेहद शानदार संकलन है...बस रचनाओं पर एक नज़र डाली है आराम से पढ़ेगें।

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  4. शानदार संकलन...

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  5. बहुत ही सुन्दर रचनाओं का शानदार संकलन
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

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