Saturday, September 22, 2018

07..चूहों से बचाने के लिये बहुत कुछ को थोड़े कुछ को कुछ चूहों पर दाँव पर लगाना ही होता है

शायद हम गलत थे..जो इस तरह का अंक निकालने का 
फैसला किए..बात तो हुई थी कि कुछ मरहूम ग़ज़ल नवीस की 
नज़्में और कहानियों पर ध्यानाकर्षित करेंगे आप लोगों का, पर 
खेद है कि जो चाहा वो न हुआ....और अनचाहा हो रहा है
अब सर तो टिका दिया है ......से क्या डरना
चलिए चलिए चलें देखें आज की संक्षिप्त प्रस्तुति....

बेचैन आत्मा की बेचैनी का सबब...
सोच लो तुम 
पढ़ गयीं तो 
ज्ञान की बातें करेंगी रोज तुमसे 
सुन सकोगे? 
सूर्य को देवता कहते हो तुम तो 
आग का गोला कहेंगी! 
मान लोगे? 
-*-*-*-

सहज भाषा के नाम पर हमने, भाषा का वास्तविक 
नई पीढ़ी कितना कुछ क्लिष्ट कहकर अनदेखा कर देगी। 
कितने अध्याय अनछुए रह जाएंगे। 
भाषाई सरलीकरण के नाम पर कितने शब्दों की 
निर्मम हत्या हुई है। उन्हें याद रखने वाली पीढ़ी अंग्रेज़ी में भविष्य तलाश रही है। 
एक पूर्वाग्रह कि हिंदी में लिखा जो कुछ भी है, सब अपशिष्ट है; गहरे तक बैठ गया है। इसे पुष्ट करने वाले लोगों में कोई अपराधबोध नहीं है। उन्हें लगता है, उन्होंने भाषा को जनवादी बनाया है। 
जनवाद!..... 
भाषा पर बहस करने वाले ज़्यादातर लोगों के भीतर निपट आभिजात्य आत्मा है। स्वप्न या मद में भी इन्हें 'जन' की सुधि कहां?
.........हम भाषा के अपराधी हैं....अभिषेक शुक्ला

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अब देखें न हमारे शहर के पोस्टग्रेजुएट कालेज के दो गुरुदेव  कुछ 
वर्ष पूर्व रिटायर्ड हुये। तो इनमें से एक गुरु जी ने शुद्ध घी बेचने 
की दुकान खोल ली थी,तो दूसरे अपने जनरल स्टोर की दुकान 
पर बैठ टाइम पास करते  दिखें । हम कभी तो स्वयं 
से पूछे कि क्या दिया हमने समाज को।

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आज का सम्पादकीय......डॉक्टर भैय्या जी

देर रात 
सड़क पर 
दल बल सहित 
निकले पहरेदार को 

सायरन 
बजाना ही होता है 

किनारे हो लो 
जहाँ भी हो

सेंध में लगे 
चोर भाईयों को 
सन्देश दूर से 
पहुँचाना होता है 

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अब बस
यशोदा








6 comments:

  1. विभिन्न विषयों पर चिंतन- मंथन से भरा यह अंक सराहनीय है। इससे समाज के प्रति दायित्व बोध होता है। मेरी विचारों को स्थान देने के लिये हृदय से आभार।

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  2. बेटियों को पढ़ाने से पहले
    सोच लो तुम
    पढ़ गयीं तो
    ज्ञान की बातें करेंगी रोज तुमसे
    सुन सकोगे?

    सूर्य को देवता कहते हो तुम तो
    आग का गोला कहेंगी!
    मान लोगे?

    सार्थक साहित्य को सराहता सार्थक अंक। बहुत सुंदर।

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  3. सुन्दर अंक। आभार यशोदा जी 'उलूक' के चूहों को स्थान देने के लिये।

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  4. विभिन्न विषयों पर विचारणीय रचनाओं के साथ बहुत सुंदर अंक तैयार किया है दी आपने।
    साहित्यिक रचनाओं का संकलन कभी बेकार नहीं जाता है दी।

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  5. बढ़िया लग रहे हैं लिंक। अभी पढ़ा नहीं, देखता हूं। आभार।

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  6. सुंदर अंक 👌👌👌

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