Saturday, May 25, 2019

41....“खामोशियाँ भी बात करती हैं”


सादर अभिवादन !

आम चुनाव का महाकुम्भ सम्पन्न हुआ ।
लोकतंत्र महोत्सव में जनता ने अपने अधिकार का प्रयोग
कर विकास के कर्म पथ का वरण किया ।
हर्षोल्लास से हर अवसर को उत्सव के रूप में
मनाने में हमारे  देश जैसी मिसाल और कहाँ…?
हम भी अपनी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत करते हैंं
'मुखरित मौन' के इकतालिसवें अंक में इस सप्ताह में
प्रकाशित रचनाएँ जिनमें
            
खामोशियाँ भी बात करती हैं ----




आंटी मुक्तमना हँस पड़ीं ,
"अरे ऐसा कुछ नहीं मुझमे ...
बस ये सब मुझे अपने मन के
ताले की चाभी मानते हैं ।






होना ना मगरूर
देख कर चेहरे पर नूर
तुम्हें दी है नियामत ईश्वर ने
यह न जाना भूल ।






ये सोच-
ले आई तुम्हें अपने साथ
कि मेरी हर नज़्म अब बर्ग-ए-चिनार होगी ।।






उसे अचानक घर जैसा महसूस होने लगा।  
इस सर्दी में उसे सामने दीखते ढाबे में से अपनेपन की
धीमी आंच आने लगी थी। सर्द एकांत में उसे ढाबे का
खुला होना बड़ा भला लग रहा था ।




ऊंचे उड़ते
पंख पसारे भावों की
एक ठोस सहज सी ज़मीन है

मेरी कविताएं
शीर्षकविहीन हुआ करती थीं
वे आज भी शीर्षकविहीन हैं !!






अगर तू रस की रखते हसरत।
यदा- कदा कुछ करले बतरस।

ध्यान   रहे तेरे  बतरस से,
लगे न किसी के दिल पर ठेस।

दुखती रग को मत सहलाओ,
किसी के मन में ना हो क्लेश ।






उसके
और मेरे बीच
कुछ नहीं था

ना उसने
कभी कहा था
ना मैंने कभी
कोशिश की थी
कुछ कहने की ….


********
अब इजाजत दें फिर मिलेंगे

10 comments:

  1. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन..व
    सधी हुई प्रस्तुति..
    आभार आपको..
    सादर..

    ReplyDelete
  2. मुखरित मौन की चर्चाकारा के रूप में मीना जी का स्वागत है। आज की सुन्दर प्रस्तुति में 'उलूक' को भी जगह देने के लिये आभार।

    ReplyDelete
  3. सुन्दर संकलन बेहतरीन रचनाएं

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. उम्दा संकलन।

    ReplyDelete
  6. वाह बहुत ही शानदार धारा प्रवाहता।
    सुंदर लिंकों के साथ सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  7. मीना जी.. सुस्वागम् मुखरित मौन परिवार में आपका हार्दिक अभिनंदन है।
    बहुत सुंदर रचनाओं के लिंक प्रस्तुत किया है आपने सुघड़ संयोजन..।
    सतत निरंतर कर्मपथ पर अग्रसर आगे बढ़ती रहे खूब यशस्वी हों यही कामना है मेरी।

    ReplyDelete
  8. व्वाहहहहह
    बधाइयाँ...
    सादर..

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete