मई का प्रथम अँक
इस सप्ताह अँक स्थगित करने का विचार था
असहनीय गर्मी के चलते...मन ही नही हो रहा था
पर अचानक कल बादल आ गए आसमान में
तबाही मची हुई है चार राज्यों में
तूफान के चलते...सरकारी आपदा विभाग की
सजगता के कारण क्षति कम होने का अनुमान है
जान और आन दोनों बच गए हैं...
सादर नमस्कार....
देखिए इस सप्ताह क्या है....
घर .....
रंग भरे जा रहे हैं दीवारों पर. दीवारें जिन पर मेरा नाम लिखा है शायद. कागज के एक पुर्जे पर लिखा मेरा नाम जिस पर लगी तमाम सरकारी मुहरें. जिसके बदले मुझे देने पड़े तमाम कागज के पुर्जे. 'घर' शब्द में जितना प्रेम है शायद वही प्रेम दुनिया के तमाम लोगों को घर बनाने की इच्छा से भरता होगा. मेरे भीतर ऐसी कोई इच्छा नहीं रही कभी. बड़े घर की, बड़े बंगले की, गाडी की, ये सब इच्छाएं नहीं थीं कभी. लेकिन इन सब इच्छाओं के न होने के बीच यह भी सोचती हूँ कि मेरी इच्छा क्या थी आखिर.
तुम मुर्दा हो .....
अगर तुम्हारे जीने का कोई मकसद नहीं, तो तुम मुर्दा हो ।
अगर तुम्हारे भीतर किसी के लिए संवेदना नहीं,
तो तुम मुर्दा हो ।
अगर इंद्रधनुष देखकर तुम कभी नहीं झूमे,
कोई कौतूहल नहीं उठा तुम्हारे मन में,
तो तुम मुर्दा हो ।
पैसे से बढ़कर यदि तुम्हें जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया,
तो तुम मुर्दा हो
"त्रिवेणी" .....
गर्म अहसास पूरी शिद्दत से मौजूद है
कल कल करते निर्झर कब के सूख गए
ग्लेशियर तो पहले ही कोहिनूर जैसे हैं
पानी कब, कौन सा, कैसे और कितना पीना चाहिए??
सुबह खाली पेट पानी पीने से रात में सोते वक्त बनने वाले जहरीले पदार्थों की काफ़ी हद तक सफ़ाई हो जाती हैं। इसलिए सुबह उठते ही बिना मंजन किए उम्र के हिसाब से यदि बच्चे हैं तो एक ग्लास और बड़े हैं तो दो से तीन ग्लास पानी पीना चाहिए। बिना मंजन किए पानी पीने से रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ हमारे पेट में जाती हैं। आयुर्वेद में सुबह की लार को सोने से भी महत्वपूर्ण बताया गया हैं। लार में टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता हैं जो हमारी पाचनक्रिया को दुरुस्त रखता हैं।
प्रथम साल गिरह पर अशेष शुभकामनाएँ ....
खामोशियों संग अंतर मन से बातें करूँ
सुनूँ दिल की किसी से कुछ न कहूं |
लोटे में बंद समंदर बन झाँक रही दुनिया
मुस्कुराये ये जहां मैं अदब से देखती रहूँ |
इसी आदत ने थमाई हाथों में क़लम
सफ़र अनजान मैं मुसाफ़िर बन रहूँ |
कितनी सदियों से ढूँढ़ती होंगी ....
पूर्णमासी की रात जंगल में
नीले शीशम के पेड़ के नीचे
बैठकर तुम कभी सुनो जानम
भीगी-भीगी उदास आवाज़ें
नाम लेकर पुकारती है तुम्हें
पूर्णमासी की रात जंगल में...
मई दिवस और पापा ....
आज के दिन पापा सुबह-सवेरे तैयार होकर मई दिवस के कार्यक्रमों में जाते थे. पापा ठेकेदार थे. लोगों के घर बनाते थे. छोटी-बड़ी इमारतें बनाते थे. उनके पास हमेशा कमज़ोर और बूढ़े मिस्त्री-मज़दूर हुआ करते थे. हमने पापा से पूछा कि लोग ताक़तवर और जवानों को रखना पसंद करते हैं, फिर आप कमज़ोर और बूढ़े लोगों को काम पर क्यों रखते हैं. पापा जवाब देते कि इसीलिए तो इन्हें रखता हूं, क्योंकि सबको जवान और ताक़तवर मिस्त्री-मज़दूर चाहिए. ऐसे में कमज़ोर और बूढ़े लोग कहां जाएंगे. अगर इन्हें काम नहीं मिलेगा, तो इनका और इनके परिवार का क्या होगा.
एक खबर उलूकिस्तान से
उबाऊ ‘उलूक’
फिर ले कर
बैठा है एक
पकाऊ खबर
मजबूर दिवस
की पूर्व संध्या
पर सोचता हुआ
मजबूरों के
आने वाले
निर्दलीय एक
त्यौहार की ।
....
इस सप्ताह बस इतना ही
फिर मिलते है...
यशोदा .....
इस सप्ताह अँक स्थगित करने का विचार था
असहनीय गर्मी के चलते...मन ही नही हो रहा था
पर अचानक कल बादल आ गए आसमान में
तबाही मची हुई है चार राज्यों में
तूफान के चलते...सरकारी आपदा विभाग की
सजगता के कारण क्षति कम होने का अनुमान है
जान और आन दोनों बच गए हैं...
सादर नमस्कार....
देखिए इस सप्ताह क्या है....
घर .....
रंग भरे जा रहे हैं दीवारों पर. दीवारें जिन पर मेरा नाम लिखा है शायद. कागज के एक पुर्जे पर लिखा मेरा नाम जिस पर लगी तमाम सरकारी मुहरें. जिसके बदले मुझे देने पड़े तमाम कागज के पुर्जे. 'घर' शब्द में जितना प्रेम है शायद वही प्रेम दुनिया के तमाम लोगों को घर बनाने की इच्छा से भरता होगा. मेरे भीतर ऐसी कोई इच्छा नहीं रही कभी. बड़े घर की, बड़े बंगले की, गाडी की, ये सब इच्छाएं नहीं थीं कभी. लेकिन इन सब इच्छाओं के न होने के बीच यह भी सोचती हूँ कि मेरी इच्छा क्या थी आखिर.
तुम मुर्दा हो .....
अगर तुम्हारे जीने का कोई मकसद नहीं, तो तुम मुर्दा हो ।
अगर तुम्हारे भीतर किसी के लिए संवेदना नहीं,
तो तुम मुर्दा हो ।
अगर इंद्रधनुष देखकर तुम कभी नहीं झूमे,
कोई कौतूहल नहीं उठा तुम्हारे मन में,
तो तुम मुर्दा हो ।
पैसे से बढ़कर यदि तुम्हें जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया,
तो तुम मुर्दा हो
"त्रिवेणी" .....
गर्म अहसास पूरी शिद्दत से मौजूद है
कल कल करते निर्झर कब के सूख गए
ग्लेशियर तो पहले ही कोहिनूर जैसे हैं
पानी कब, कौन सा, कैसे और कितना पीना चाहिए??
सुबह खाली पेट पानी पीने से रात में सोते वक्त बनने वाले जहरीले पदार्थों की काफ़ी हद तक सफ़ाई हो जाती हैं। इसलिए सुबह उठते ही बिना मंजन किए उम्र के हिसाब से यदि बच्चे हैं तो एक ग्लास और बड़े हैं तो दो से तीन ग्लास पानी पीना चाहिए। बिना मंजन किए पानी पीने से रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ हमारे पेट में जाती हैं। आयुर्वेद में सुबह की लार को सोने से भी महत्वपूर्ण बताया गया हैं। लार में टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता हैं जो हमारी पाचनक्रिया को दुरुस्त रखता हैं।
प्रथम साल गिरह पर अशेष शुभकामनाएँ ....
खामोशियों संग अंतर मन से बातें करूँ
सुनूँ दिल की किसी से कुछ न कहूं |
लोटे में बंद समंदर बन झाँक रही दुनिया
मुस्कुराये ये जहां मैं अदब से देखती रहूँ |
इसी आदत ने थमाई हाथों में क़लम
सफ़र अनजान मैं मुसाफ़िर बन रहूँ |
कितनी सदियों से ढूँढ़ती होंगी ....
पूर्णमासी की रात जंगल में
नीले शीशम के पेड़ के नीचे
बैठकर तुम कभी सुनो जानम
भीगी-भीगी उदास आवाज़ें
नाम लेकर पुकारती है तुम्हें
पूर्णमासी की रात जंगल में...
मई दिवस और पापा ....
आज के दिन पापा सुबह-सवेरे तैयार होकर मई दिवस के कार्यक्रमों में जाते थे. पापा ठेकेदार थे. लोगों के घर बनाते थे. छोटी-बड़ी इमारतें बनाते थे. उनके पास हमेशा कमज़ोर और बूढ़े मिस्त्री-मज़दूर हुआ करते थे. हमने पापा से पूछा कि लोग ताक़तवर और जवानों को रखना पसंद करते हैं, फिर आप कमज़ोर और बूढ़े लोगों को काम पर क्यों रखते हैं. पापा जवाब देते कि इसीलिए तो इन्हें रखता हूं, क्योंकि सबको जवान और ताक़तवर मिस्त्री-मज़दूर चाहिए. ऐसे में कमज़ोर और बूढ़े लोग कहां जाएंगे. अगर इन्हें काम नहीं मिलेगा, तो इनका और इनके परिवार का क्या होगा.
एक खबर उलूकिस्तान से
उबाऊ ‘उलूक’
फिर ले कर
बैठा है एक
पकाऊ खबर
मजबूर दिवस
की पूर्व संध्या
पर सोचता हुआ
मजबूरों के
आने वाले
निर्दलीय एक
त्यौहार की ।
....
इस सप्ताह बस इतना ही
फिर मिलते है...
यशोदा .....
सुंंदर सराहनीय रचनाओं संकलन है दी।
ReplyDeleteदिन ब दिन मौन मुखरित हो रहा।
मुखरित मौन की मनमोहक प्रस्तुति । मेरे सृजन को इस प्रस्तुति में स्थान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं
ReplyDeleteसुन्दर मुखरित मौन प्रस्तुति। आभार यशोदा जी उबाऊ 'उलूक' की पकाऊ खबर ला कर सजाने के लिये।
ReplyDeleteलाजवाब मुखरित मौन...
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स ।
मुखरित मौन का शानदार अंक सराहनीय और सार्थक लिंकों से भरा। सभी रचनाकारों को बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर साप्ताहिक अंक
ReplyDeleteउम्दा रचनाएं
बहुत बढ़िया लिंक्स हैं सभी। मेरी रचना को स्थान देने केले बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा प्रिय बहन यशोदा मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदय से आभार
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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