राष्ट्रीय उथल-पुथल के चलते
साहित्यिक गतिविधियाँ धीमी नहीं पड़ी है
शैने-शैने आक्रोश थमता जा रहा है
और ये धीमापन किसी भयानक तूफान
लाने मे सक्षम है...
चलिए देखते हैं इस सप्ताह क्या पढ़ा गया है...
“विश्व महतारी भाषा दिवस” - छत्तीसगढ़ी
घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध - तइहा के जमाना के हाना आय। अब हमन नँगत हुसियार हो गे हन, गाँव ला छोड़ के शहर आएन, शहर ला छोड़ के महानगर अउ महानगर ला छोड़ के बिदेस मा जा के ठियाँ खोजत हन। जउन मन बिदेस नइ जा सकिन तउन मन विदेसी संस्कृति ला अपनाए बर मरे जात हें। बिदेसी चैनल, बिदेसी अत्तर, बिदेसी पहिनावा, बिदेसी जिनिस अउ बिदेसी तिहार, बिदेसी दिवस वगैरा वगैरा। जउन मन न बिदेस जा पाइन, न बिदेसी झाँसा मा आइन तउन मन ला देहाती के दर्जा मिलगे।
ऋतुराज बसन्त....(महाश्रृंगार)
प्रकृति सब झूम उठी है आज
सुगंधित तन मन आँगन द्वार
बिछाये पलकें बैठी देख
रत्नगर्भा करने श्रृंगार
पालना डाले द्रुम दल और
पुष्प ने पहनाया परिधान
झुलाती झूला जिसको वात
कोकिला करती है मृदु गान
अपने किसी 'खास' को 'चाँद पर जमीन' का तोहफा....
UNO के 1967 में ‘बाह्य अंतरिक्ष संधी’ के नाम से जारी एक परिपत्र के अनुसार बाह्य अंतरिक्ष मानव मात्र की धरोहर हैं और उस पर किसी देश या सरकार का स्वामित्व नहीं हैं। चूंकि यहां 'देश' शब्द का उपयोग हुआ हैं, 'व्यक्ति' का नहीं, इस बात का लाभ लेते हुए अमेरिका के डेनिस होप ने 1980 में सभी ग्रहों का मालिक होने का दावा ठोंक दिया था। डेनिस होप ने विश्व के सभी देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं UNO के महासचिव को पत्र भेज कर सूचित किया कि उन्होंने चंद्रमा एवं बाह्य अंतरिक्ष ग्रहों पर अपना स्वामित्व स्थापित किया हैं और वहां भुखंड काट कर उन्हें बेचने का इरादा रखते हैं।
"नीन्द"............ (हाइकु)
दौड़ धूप में
आकुल व्याकुल सा
गुजरा दिन
थकी सी रैना
नाराज सी निंदिया
बेकल नैना
दूर व्योम में
धुंधले चंदा तारे
नींद में सारे
उलूकिस्तान में पहले भी हुई है धमा-चौकड़ी
हर
शुभचिंतक
चिंता को
दूर करने
के लिये
खबरों को
सूंघता हुआ
पाया जाता है
मिलते ही
आदतन
क्या खबर है
उसके
मुँह से
अनायास ही
निकल जाता है ।
......
अब बस
दे आदेश
यशोदा
सुप्रभात !
ReplyDeleteचिन्तनशील भूमिका के साथ खूबसूरत संकलन ।
इस संकलन में मुझे स्थान देने के लिये सादर आभार !
मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,यशोदा दी।
ReplyDeleteसुन्दर मुखरित मौन प्रस्तुति के साथ 'उलूक' की बकबक तालमेल ठीक नहीं फिर भी आभार यशोदा जी :)
ReplyDeleteबहुत शानदार प्रस्तुति हर सामग्री पठनीय सार्थक ।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को बधाई
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
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