Saturday, February 9, 2019

26...कभी तो लिख यहाँ नहीं तो और कहीं, दो शब्द प्यार पर भी झूठ ही सही

फरवरी का नौवाँ दिन
ठण्ड का बुढ़ापा...
पसीने का आगमन
सच में,
अपने भारत में ही होता है ये सब
बाकी सब जगह दो ही मौसम होते हैं
विंटर और समर....
भूल ही गए अभिवादन करना
सादर अभिवादन....
गूगल महाराज विदा हो लिए
फिर न आने के लिए...
चलिए चलते हैं, देखें, इस सप्ताह क्या है.....

(प्रेम-दिवस अंक)

तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा 

कोरा कागज़ और कलम                            
शीशी में है कुछ स्याही की बूंदे   
जिन्हे लेकर बैठा हूँ फिर से
आज बरसो बाद 
कुछ पुरानी यादें लिखने
जिसमें तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा 



धार-धार प्रेम की कथा कही....

भूल गए जीत, हार, जन्म और मरण 
साँवरे की वंशी का कर लिया वरण
प्रेम-प्रेम बस हृदय में और कुछ न था 
एक रूप कृष्ण-राधिका हुए यथा 
इस प्रकार चक्षुओं से झाँकते हुए, 
गोपियों की विरह-वेदना कही 

खतरे के खिलाड़ी

"आजमाने में रिश्ते बना नहीं करते... आज के दिन अकेली लड़की का घर से दूर जाना कई खतरे राह में प्रतीक्षित होते हैं..। वक़्त बदला है समस्याएं नहीं बदली...!"
"मान लेता हूँ... मेरा दबाव गलत था... अबीर तुम्हें शादी के बाद ही समाज के सामने लगाउँगा..! चलो तुम्हें सुरक्षित घर छोड़कर आता हूँ..।"


ब्रेकअप ....
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'मम्मी, वो प्रमोद...''
''क्या हुआ प्रमोद को?'' ''प्रमोद ने मुझे धोखा दिया मम्मी! वो कह रहा हैं कि अब उसे मुझ से प्यार नहीं हैं! वो प्रियंका से प्यार करता हैं।'' ''अरे...कल ही तो तू ने अपने पापा से प्रमोद से शादी करने की बात की थी और उन्होंने हां भी कर दी थी फ़िर आज अचानक क्या हुआ?''



एकलव्य की मनोव्यथा
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मैं फिर भेट करूंगा अंगूठाअपना,
और कह दूंगा सारे जग को
तुम मेरे आचार्य नही
सिर्फ द्रोण हो सिर्फ एक दर्प,
 पर मैं आज भी हूं
तुम्हारा एकलव्य ।

पुरुष की तू चेतना ....
My photo
पुतली में पलकों की पल पल,
कनक कामना कमल सा कोमल.

अहक हिया की अकुलाहट,
मिचले मूंदे मनमोर मैं चंचल.



प्रेम-दिवस पर विशेष

पर कहता कोई 
नहीं है उसको येड़ा 
प्यार पर लिखने को 
सोचे दो शब्द तेरे कहने 
पर आज ही जैसे 
देख ले क्या क्या 
लिख दिया जैसे 
होना शुरु हो गया 
हो सोच की लेखनी 
के मुँह आकार टेढ़ा।

आज अब बस
यशोदा


12 comments:

  1. सुप्रभात !
    जी सुंदर अंक
    उम्दा रचनाएं
    आशुतोष द्विवेदी जी की रचना संकलित करने के लिए आभार........सादर

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  2. सुंदर अंक। बघाई और आभार।

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  3. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    हार्दिक आभार मेरे भावों को भी मान देने के लिए
    सुंदर संकलन

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  4. सुंदर संकलन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  5. वाह बहुत खूबसूरत संकलन सभी रचनाएँ पढ़ नही पाई अभी।
    मेरी "एकलव्य की मनोव्यथा" को मुखरित मौन में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

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  6. बहुत सुन्दर लिंक संयोजन आज का ... अनेक नए सूत्र हैं ...

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  7. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम

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  8. सुन्दर मुखरित मौन प्र्स्तुति शनिवार की। आभार यशोदा जी 'उलूक' के पन्ने पर नजरे इनायत की।

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  9. सुंदर संकलन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  10. https://akaksha11.blogspot.com/2018/05/blog-post_23.html?m=1

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  11. बेहतरीन संकलन

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  12. https://akaksha11.blogspot.com/2018/05/blog-post_23.html?m=1

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