Saturday, August 25, 2018

अंक तीसरा....सावला रंग है साहब, मन नहीं

आलेख, गद्य पढ़ा जाता है....जबरन पढ़वाया नहीं जा सकता....पीने की इच्छा नहीं है कुछ भी ..और आपने पानी, शरबत
मय की सुराही लाकर रख दिए तो वह तो पिएगा तो नहीं ...
बोर होकर सो जाएगा......
चलिए आज पढ़ ही लीजिए...
यकीनन आपको बोरियत महसूस नहीं होगी.......

क्या बच्चों पर पारिवारिक संस्कारों का असर होता है?
उस परिवार में दो भाई थे। एक भाई अव्वल दर्जे का नशेबाज था, अपनी पत्नी और बच्चों को मारता पीटता था, जो कमाता वो नशे में उडा देता था। उसीका दूसरा भाई बच्चों पर जान छिड़कता, पत्नी को बड़े नाजो से रखता, उसके घर में किसी प्रकार की कमी नहीं थी, समाज में खूब मान-सम्मान था।
कलम पर अच्छी पकड़ सखी ज्योति जी की


रोशनआरा बेहद खूबसूरत थी। कई मुग़ल-गैर मुग़ल शहजादे, राजकुमार, राजे, नवाब मन ही मन उसका ख्वाब देखा करते थे। ऐसा ही एक युवक, जो था तो बाबर का वंशज पर वह और उसका परिवार वर्षों से सत्ता से दूर गुमनामी का जीवन जी रहे थे, रोज वहाँ आ शहजादी को देखा करता था...!वो अंधा मुग़ल
इतिहास में भी होती थी फ्लर्टिंग....गगन शर्मा



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ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...1
ब्लॉगिंग की दुनिया बड़ी रोमांचक है. इसका दायरा कितना बड़ा है उसका अंदाजा लगना मुश्किल है. लेकिन इतना तो हम समझ ही सकते हैं कि जहाँ तक इन्टरनेट और स्मार्टफोन की पहुँच है, वहां तक ब्लॉगिंग आसानी से पहुँच चुकी है. सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में अन्तर्जाल पर उपलब्ध हर प्लेटफॉर्म का अपना महत्व है. इसी कड़ी में जब हम ब्लॉग के विषय में सोचते हैं तो हमें लगता है कि अभिव्यक्ति के इस माध्यम का भी अपना विशेष महत्व है.....
आदरणीय श्री केवल राम जी ने विस्तृत व्याख्या की है..ये पहला भाग है...दूसरे भाग के लिए आपको ब्लॉग पर जाना होगा

एक लघुकथा पढ़िए....

एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी 
पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया....!!!
पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं!!!
पनिहारिने आईं तो एक ने कहा- "आहा! साधु हो गया, फिर 
भी तकिए का मोह नहीं गया...पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।"
पनिहारिन की बात साधू ने सुन ली...
उसने तुरंत पत्थर फेंक दिया...
दूसरी बोली.....
"साधु हुआ, लेकिन खीज नहीं गई.. अभी रोष नहीं गया,तकिया फेंक दिया।" तब साधु सोचने लगा, अब वह क्या करें ?
कथा सार इन दो पंक्तियों में...
आप ताले का मुंह तो बंद कर सकते हो

पर इंसान का मुंह बंद नही कर सकते हो



सच का साया.....सावला रंग है साहब, मन नहीं
अंजली मुस्कुराके अपने बाबा से लिपटकर कहती है...क्यों नहीं बाबा, जानती हूँ । मगर वह पुरानी बातें जो बीत चुकी है। अब नया ये है की इनके घाव का इलाज किया जाये। वैसे भी इन्हें अब सांवलेपन से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये अपनी याददास्त खो चुके हैं। ये हमारे घर आये घायल मेहमान है इसलिए इन्हें पूरी तरह ठीक करना हमारा धर्म है।

मगर अंजली के पापा ने मुस्कुराहट के बीच भी बेटी के पलकों पे कुछ नमी महसूस जरूर कि थी, इधर लड़का सारी बाते सुन लेता है। वह बेहद हैरान था इस वक्त।

लड़का का इलाज शुरू होता है। इधर हर समय लड़की लड़के की देखभाल करती है। अंजली के ख्याल रखने के तरिके को देखकर, लड़के को बहुत प्यार हो जाता है अंजली से। हंसी मजाक तकरार होती रहती है दोनों में ।
एक दिन जब लड़के का घाव भर जाता है तो लड़का अंजली से कहता है कि मैं कौन हूँ कहा से आया मेरा नाम क्या है कुछ नहीं जानता मगर तुम्हारा अपनापन देखकर मुझे यहीं रहने को दिल करता है हमेशा के लिए।


अंजली- आप चिंता न करो हमारे बाबा आपको कल शहर छोड़ देंगे और आपको गाड़ी के छत पर बिठा के नीचे लिख देंगे की एक खूबसूरत नौजवान के माता पिता के घर का पता बताने वाले को एक लाख दिया जायेगा.....
दिलचस्प कहानी...पढ़े बिना नहीं न मानेंगे आप...





बैंको में पांच दिवसीय कार्यप्रणाली
आज बैंको में डिजिटलीकरण इतना अधिक हो चुका है, कि ग्राहक बिना शाखा गए ही अपने सारे कार्य (24 x 7) किसी भी स्थान से आसानी से कर सकते हैं ।
जैसे कि एटीएम मशीन,कैश डिपाजिट मशीन, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, चेक डिपाजिट मशीन, यहां तक कि ग्राहक घर बैठ कर ही अपना बचत खाता, डिपॉजिट खाता आदि भी खोल सकते हैं।

दोस्तो पांच दिवसीय कार्यप्रणाली लागू हो जाने से बैंक अपनी शाखाओं का अधिक  विस्तार न करके बल्कि अपनी ई-लॉबी के विस्तार पर अधिक ध्यान देंगे।
जो कि बैंको के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि एक शाखा को खोलने में जितना धन खर्च होता है, उतने धन में बैंक तीन ई-लॉबी खोल सकते हैं।........
आज नहीं तो कल लागू करना ही होगा


आज के लिए इतना काफी है....
आज्ञा दें यशोदा को...

7 comments:

  1. सुप्रभातम् दी,
    विविधतापूर्ण रचनाओं से सजा रोचक अंक है आज का।
    सादर
    आभार।

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  2. वाह...
    कुछ और जुडेगा
    कुछ हंसगुल्ले
    कुछ रसगुल्ले
    कुछ बचकानी बातें
    कुछ बनाव-श्रृंगार
    और भी बहुत कुछ
    ऐसा कुछ कि लोग
    प्रतीक्षा करें इस अंक की
    सादर...

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  3. सभी रचनाएं बहुत अच्छी हैं यशोदा दी। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, दी।

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  4. वाह!!कई रचनाओं का संग्रहणीय अंक।
    बहुत बढियाँ।
    आभार।

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  5. वाह बहुत सुंदर संगम लिये शानदार प्रस्तुति।

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    1. सभी रचनाकारों को बधाई ।

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  6. वाह 👌👌👌 बहुत शानदार प्रस्तुति।

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