Saturday, August 18, 2018

दूसरा अंक...सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण

हमारे साप्ताहिक शनिवारीय विशेषांक 
की कड़ी में
आप सभी प्रबुद्ध पाठकों का
हार्दिक अभिनंदन है।

चाँद, तारे,नदी, आकाश, गुलमोहर,जुलाहा,तितली, प्रकृति जीवन,रिश्ते और रंग से शब्दों को हौले से छूकर संदली एहसास में बदलने वाले जादूगर है गुलज़ार।
जिनके शब्द जीवन की पथरीली राहों में रिमझिम बरसती फुहारों सी लगती है। 
जलते मन पर खुशबूदार गुलाब जल में भींगा रुई का 
फाहा रखकर शीतलता प्रदान करने वाले गीत, नज़्म,त्रिवेणी सिर्फ़ गुलजार के हो सकते है।
18 अगस्त को अपना 83 वाँँ जन्मदिवस मनाने वाले गुलजार 
की रचनाएँ अनुभूतियों का संदली संसार बुनती हैं।

गुलज़ार की लिखी कहानियां मानो उनकी लिखी नज़्म का ही 
विस्तृत रुप हो मानो। अंतर बस गद्य और पद्य की शैली का है।
1947 के दंगे और विभाजन को करीब से देखने और महसूस किया है उन्होंने , उनकी लेखनी में जीवन के दर्द का जीवंत प्रवाह था।
 भावुक और संवेदनशील पात्रों से कहानियों का श्रृंगार , स्त्री-पुरुष के संबंधों की बारीकियों का सूक्ष्म विश्लेषण उनके लेखन की विशेषता रही है। कोई शक नहीं कि उनकी रचनाओं में रिदम होता है , जिसकी धुन सहज हृदय को स्पर्श करती है।
सरकार ने अब इसकी आधी ज़मीन परसिमेंट की तीनमंज़िला पक्की बिल्डिंग बना दी हैं. और एक-एक मंज़िल पर चोबीस-चोबीस फ्लैट हैं. हर एक फ्लैट में एक कमराएक रसोईघरजिसमें धुआँ ऊन के गोले की तरह लिपटा चला जाता है।
जिनके घर में कुत्ता है जिसके घर में कुत्ता होगा कभी भी उसका घर नहीं जाने का फैसला किया है मैंने । मैं जानता हूं मेरे बहुत सारे दोस्तों और परिजनों को कुत्ते बहुत पसंद हैं । उनके घर में एक से ज्यादा कुत्ते हैं । मैं यह बात जानता हूं कि अगर मैं उनके घर न जाऊं तो उनका मन खराब होगा अथवा वह दु:खी होंगे । मैं भी अपने दोस्तों से बहुत प्यार करता हूं, उनके घर जाना चाहता हूं ।
उनकी यह अद्भुत पोथी इतनी लोकप्रिय है कि मूर्ख से लेकर 
महापण्डित तक के हाथों में आदर से स्थान पाती है। उस समय 
की सारी शंकाओं का रामचरितमानस में उत्तर है। अकेले इस ग्रन्थ 
को लेकर यदि गोस्वामी तुलसीदास चाहते तो अपना अत्यन्त 
विशाल और शक्तिशाली सम्प्रदाय चला सकते थे। यह एक 
सौभाग्य की बात है कि आज यही एक ग्रन्थ है, जो 
साम्प्रदायिकता की सीमाओं को लाँघकर सारे देश में व्यापक 
और सभी मत-मतान्तरों को पूर्णतया मान्य है। 



हमारी भारतीय संस्कृति की यह परम्परा रही है कि हम अपने अतिथियों को देवतुल्य मानते हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार उनके स्वागत सत्कार और अभ्यर्थना में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते ।

वर्तमान संदर्भ में ये अवधारणायें अपना औचित्य खोती हुई प्रतीत होती हैं । कहीं न कहीं मूल्यों का विघटन इतनी बुरी तरह से हुआ है कि विश्व बिरादरी के सामने हमें अक्सर शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है । सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भारत एक अत्यंत वैभवशाली और समृद्ध देश है। यहाँ के छोटे से छोटे गाँव या कस्बे से भी अतीत के गौरव की अनमोल गाथायें गुँथी हुई हैं ।

राष्ट्र भाषा हिन्दी को आजादी के 72वर्ष बीत जाने पर भी अपने 
ही देश में घोर उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है, जो राष्ट्रीय 
शर्म का विषय है, जबकि विश्व में हिन्दी की ताकत बढ़ रही है, जिसका ताजा प्रमाण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) द्वारा 
हिन्दी में ट्वीटर सेवा शुरु करना। देश के सम्मान में उस समय 
और अधिक इजाफा हुआ जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने ट्विटर पर 
हिंदी में अपना अकाउंट बनाया और हिंदी भाषा में ही पहला ट्वीट किया। पहले ट्वीट में लिखा संदेश पढ़कर हर भारतीय का सीना 
गर्व से चैड़ा हो गया है। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने 
फेसबुक पर भी हिंदी पेज बनाया है। साथ ही साथ साप्ताहिक 
हिन्दी समाचार भी सुने जा सकेंगे। भारत सरकार के प्रयत्नों 
से हिन्दी को विश्वस्तर पर प्रतिष्ठापित किया जा रहा है, 
यह सराहनीय बात है। लेकिन भारत में उसकी 
उपेक्षा कब तक होती रहेगी? 
विदेशों में ही क्यों बढ़ रही है हिन्दी की ताकत....ललित गर्ग



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सेंस ह्यूमर
एक बार एक इंटरव्यू में
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि
अमिताभ बच्चन का सार्थक
सिनेमा में कोई खास योगदान
नहीं रहा क्योंकि वो विशुद्ध
व्यावसायिक अभिनेता है।
इसके बाद पत्रकार ने
अमिताभ बच्चन को तुरंत
यह बात बताई और उनकी
प्रतिक्रिया जाननी चाही?
अमिताभ बच्चन ने कहा,
जब नसीरुद्दीन शाह जैसा
अंतरराष्ट्रीय अभिनेता कुछ
कहता है तो मुझे आत्म मंथन
करना चाहिये, प्रतिक्रिया
नहीं देना चाहिये।
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आपको हमारा यह गद्य अंक कैसा लग रहा ?
आपके बहुमूल्य सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
कृपया अपना योगदान अवश्य दें।

--श्वेता सिन्हा


7 comments:

  1. शुभ प्रभात...
    जो नहीं टल सकता
    वही अटल है
    बेहतरीन अंक...
    आभार
    सादर

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति श्रेष्ठ रचनाओं के सुन्दर संकलन के साथ आदरणीया श्वेता जी

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  3. सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌

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  5. वाह ! बहुत ही खूबसूरत संकलन ! अपने आलेख को यहाँ देख उल्लासित हूँ ! इस नयी पहल के लिए अनेकानेक शुभकामनाएं ! हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

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  6. मेरे संकलन को सामिल देखकर स्तबध रह गई मै ।
    आभार अंतर हृदय से।
    बहुत दमदार भुमिका के साथ शानदार प्रस्तुति ।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

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