Sunday, August 5, 2018

मुखरित मौन.....श्वेता सिन्हा

मौन भी मुखरित
साथ रहे 
जब राधा और श्याम
कंगन बिछुआ,
 पायल छनके 
 ‎संग मुरली के तान
मगन प्रेम में 
बिसराये कब 
भोर से हो गयी साँझ
नैन की 
आँख-मिचौली में 
क्या बतियाने का काम
पात कदंब के 
ले हिलकोरे 
जमना बैठी लहरे थाम 
हवा रागिनी 
गाये झूमकर 
है भँवरों का गुनगुन गान
मोहनी रस पी 
सुधबुध खो 
प्रीत सुनाये राधेश्याम 
©श्वेता
...मरम्मत चालू आहे....

6 comments:

  1. मोहनी रस पी
    सुधबुध खो
    प्रीत सुनाये राधेश्याम...रंगी राधा श्याम के नाम! बहुत सुंदर!

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  2. पायल छमके कांगन छमके तो माया सी बन जाती है विशेष कर जब राधा क्रिशन सा पावस नाउन हो साथ ...
    सुंदर रचना संसार है ...

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  3. वाह!!श्वेता , बहुत खूबसूरत, श्याम रंग म़े रंगी रचना ।

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  4. संग मुरली के तान
    मगन प्रेम में
    बिसराये कब
    भोर से हो गयी साँझ
    नैन की
    आँख-मिचौली में
    क्या बतियाने का काम.......सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. श्वेता जी हमारे कान्हाजी और हमारी राधिका रानी में से क्या किसी के पास घड़ी नहीं है? और काहे का मौन? बांसुरी संग पायल, कंगन, झुमका, करधनी और कदम्ब क्या शोर नहीं मचा रहे हैं? एक यमुना जी ही दिल थामकर ये गुस्ताखियाँ देखते हुए सोच रही हैं कि अगर कहीं योगी जी का एंटी मजनूँ स्क्वैड आ गया तो इस प्रेमी युगल का क्या होगा. फिर कहीं 'मरम्मत चालू आहे' वाला जुमला इन पर ही फ़िट न हो जाए. खैर मज़ाक ख़त्म, बहुत सुन्दर कविता !

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