Thursday, January 9, 2020

231...एक बंद ब्लॉग..तु्म्हारे लिए

सादर अभिवादन..
क्षमा करें आज ताजी रचना नहीं है
पर आज की रचनाएँ भी ताजी व तरो-ताजी ही है
ब्लॉग लेखिका 2012 से ब्लॉग पर नहीं आई है
गुंजन गोयल..
ब्लॉग का टाईटल
तुम्हारे लिए .
सब टाइटल
इश्क यूँ ही नहीं मिलता हर एक को 
ढोनी पड़ती है खुद ही की लाश .. 
जन्म दर जन्म

अब रचनाओँ पर एक नज़र..

तुमसे दूरियों की मेरी दरख्वास्त
खारिज हो चुकी है अब
क्या करूँ ..
अब जीने का मन भी तो नहीं होता
आंखें बंद करते ही तुम याद आते हो
.... बेतहाशा


दीवानापन देखा है कभी ?
नहीं देखा .. तो आज देख लो
कभी कभी यूँ भी होता है .. मेरा मन
क्यूँ ?
नहीं हो सकता क्या ?
मन है .. मन का क्या ?
एक आदिम पिपासा
सदियों से पलती
कभी तो बाहर आनी ही थी


मह - मह महकने लगी
मैं तुम संग .. सखी
चह - चह चहकने लगी
मैं बन कर चिड़ी
कभी इत .. कभी उत
मैं इतराने लगी
ओ री सखी !!
मेरी प्यारी सखी !!


और जो पालूँ
तो बेटा जनूं
वाह्ह री दुनिया !!!
अज़ब है ये दुनिया
माँ को पूजे
और बेटी को दुत्कारे

हहह !!!
गलीज़, लिजलिजी
दोगली दुनिया


कभी मेरे मन की पीड़ा को
महसूस करके तो देखो
एक बार उसे जन्मके तो देखो
प्राण तज़ दोगे
वहीँ के वहीँ ..

शब्दों को जन्मना आसान नहीं होता
खासकर तब जब लहुलुहान हो जाती हैं
हमारी संवेदनायें
तब जब खून से लिसड़ जाती हैं
हमारी भावनायें ..
...
ये ब्लॉग की कुछ ही रचनाएँ है
और रचनाओं का अवलोकन व पठन
आप ब्लॉग में जाकर कर सकते हैं
सादर


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