Wednesday, January 1, 2020

223...दशा-दिशा बदल देने के लिए प्रयत्नशील

जाओ प्यारे 
बहुत याद आओगे
....
डर लगता है..
नए साल से नहीं..
वो आएगा और चला भी जाएगा...
डर इस बात का 
कि आज की बागडोर हमारे हाथ में
ज़रा सी भी चूक हुई ..तो
खैर नहीं हमारी..
शुभकामनाएँ नववर्ष की..
आपके उज्जवल भविष्य की कामनाएँ
इस वर्ष में 366 दिन होंगे..  
लीप इयर जो है...

नए वर्ष का आगाज़
आदिणीय विभा रानी श्रीवास्तव 'दंतमुक्ता'
के ब्लॉग से
आदरणीय दीदी को कौन नहीं जानता
दीदी

B.Ed. & LL.B. उच्च शिक्षित
कहती है कि वे स्वयं...

संपादक बूँद हूँ नदी से मिल 
दशा-दिशा बदल देने के लिए प्रयत्नशील हूँ.. 
कल पर यकीन है, 
कौन सा आज ही प्रलय आ जाने वाला है। 
संयम, समझ व संवेदना का 
साथ समय पर छोड़ देते हैं 
तो शिक्षित होने का क्या फायदा..
अब उनकी सोच और सृजन की ओर...


नव भोर उल्लासित रहे

उग्रशेखरा सा उच्चाकांक्षी में
उच्छृंखलता उछाँटना
अन्य पर वार करने का
कारण बनाओ
तो
बहुत खतरनाक
बनाता है..


मुक्ति ....

"मुझे विस्तार से जानने की इच्छा है। आप ड्रग एडिक्ट कैसे बने यानी लत कैसे लगी, लत व्यसन में कैसे बदला, ड्रग में क्या-क्या लेते रहे, ड्रग लेने से कैसा अनुभव होता था, अनुभव से क्या परिवर्त्तन होता था, आपके अपने घर वाले, रिश्तेदार, माता-पिता, भाई-बहन के रोकने समझाने की कोशिश कितनी कामयाब रही ड्रग एडिक्ट की जिंदगी से सामान्य जीवन के लिए वापसी में?"


धोखा ....
विध्वंस है
आँखें कुछ कहती हैं
निभाये कर्म कुछ कहते हैं
जुबान से कही बातें
सार्थक जब नहीं होती है

छल लेना ज्यादा आसान
या छला जाना ..


क्षोभ ....
मैं अपने निवास स्थल(घर स्त्रियों का नहीं होता) का पता
पहले बिहार दलित विकास समिति के पहले बताती
या चेल्सी(मिठाई की दुकान) के समीप
कभी कमन्युटी हॉल का होल्डिंग बता देता पता
फिर एक लंबे होण्डा का शो रूम बताने लगी
वर्तमान में सर्वदृष्टि आँखों के
अस्पताल के दाएं परिचय है।


बुरी बेटियाँ ....
बुरी होती हैं ?
बुरी होती है बेटियाँ
ब्याह के आते
चाहिए बँटवारा।
एकछत्र साम्राज्य
मांगें सारा का सारा।
खूंटे की मजबूती तौलती
आत्महत्या की धमकी।
प्रभुत्व/रूप से नशा पाती
वंश खत्म करती सनकी
समझती घर को फटकी।
(फटकी=वह झाबा जिसमें बहेलिया पकड़ी हुई चिड़ियाँ रखते हैं)


अनुत्तीर्ण ....
प्रतीक्षारत रहती है
जीवित आँखें
मन सकूँ पाए
मन प्रतीक्षारत रहता है
क्षुधा तृप्त रहे
क्षुधा से सिंधु पनाह मांगे।
तथाकथित अपनों के भरोसे
शव प्रतीक्षारत रहे..
संवेदनशील पशु भी होते हैं

स्वागतम्

अच्छे से रहना
और अच्छे से रखना
सादर






5 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति. सभी रचनाएँ बेहतरीन से बेहतरीन
    नव-वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया दी जी
    सादर

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  2. वाह लाजवाब। नववर्ष 2020 की मंगलकामनाएं।

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  3. बहुत बहुत सुंदर आत्म मुगध करता संकलन।

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  4. सुन्दर प्रस्तुति. सभी रचनाएँ बेहतरीन

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