ये रात ये तन्हाई
ये दिल के धड़कने की आवाज़
ये सन्नाटा
ये डूबते तारॊं की
खा़मॊश गज़ल खवानी
ये वक्त की पलकॊं पर
सॊती हुई वीरानी
जज्बा़त ऎ मुहब्बत की
ये आखिरी अंगड़ाई
बजाती हुई हर जानिब
ये मौत की शहनाई
सब तुम कॊ बुलाते हैं
पल भर को तुम आ जाओ
बंद होती मेरी आँखों में
मुहब्बत का
एक ख्वाब़ सजा जाओ
-स्मृतिशेष मीनाकुमारी
उम्दा चयन ,बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमीनाकुमारी बहुत अच्छी शायरा थी
उन्हें शत शत नमन
बहुत बढिया..
ReplyDeleteबहुत भावुक सी गजल मन को कहीं गहरे तक छूती समय परक प्रस्तुति। उम्दा बेहतरीन।
ReplyDeleteमीना कुमारी का तो जवाब ही नहीं... और जब उन्हीं की ग़ज़लें उन्हीं की आवाज़ में सुनते हैं तब तो मज़ा ही आ जाता है... जैसी रूहानी शेर वैसी ही रूहानी आवाज़...
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