मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम;
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम;
आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर;
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम;
जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी;
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम;
गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी "क़तील";
साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम।
-क़तील शिफ़ाई
प्रस्तुतिः अनु कश्यप
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
sunder
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है कतील जी की और इसको जगजीत जी ने अपनी आवाज़ में जन जन तक पहुँचाया है ...
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