Tuesday, March 20, 2018

"मिलकर जुदा हुए तो...क़तील शिफ़ाई

मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम;
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम;

आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर;
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम;

जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी;
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम;

गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी "क़तील";
साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम।
-क़तील शिफ़ाई
प्रस्तुतिः अनु कश्यप


3 comments:

  1. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर....

    ReplyDelete
  2. बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है कतील जी की और इसको जगजीत जी ने अपनी आवाज़ में जन जन तक पहुँचाया है ...

    ReplyDelete