सादर अभिवादन
आज 2019 को फिर मुखर हुआ मौन
कुछ खास नया नही है ये 2019
2018 जैसा ही है
पता नहीं कब सुधरेगा ये नया साल
कब देखने मिलेगा नया कुछ...
आज 2019 को फिर मुखर हुआ मौन
कुछ खास नया नही है ये 2019
2018 जैसा ही है
पता नहीं कब सुधरेगा ये नया साल
कब देखने मिलेगा नया कुछ...
चलिए चलते हैं आज कुछ नया है क्या....
चंद सवालात और एक मशवरा....
'इसमें तमाम व्यूज़ तो हाईस्कूल स्तर के भी नहीं थे फिर
इसे 'इंटरव्यू' क्यों कहा गया?’
एक और प्रश्न -
'शेखचिल्ली, तू कभी हिन्दोस्तां आया नहीं,
फिर यहाँ शागिर्द तेरे, तख़्त कैसे पा गए?'
चंद सवालात और एक मशवरा....
'इसमें तमाम व्यूज़ तो हाईस्कूल स्तर के भी नहीं थे फिर
इसे 'इंटरव्यू' क्यों कहा गया?’
एक और प्रश्न -
'शेखचिल्ली, तू कभी हिन्दोस्तां आया नहीं,
फिर यहाँ शागिर्द तेरे, तख़्त कैसे पा गए?'
"मुझे आपकी ब्लेसिंग चाहिए, मैं भी बुक लिखना चाहता हूँ!"
"बेहद खुशी की बात... आपको कामयाबी मिले...
अच्छी शुरुआत हो...!"
"कैसे बुक छपेगी... माने कैसे छपती है...?"
"आपके लेखन पर निर्भर करता है... उत्तम लेखन हुआ तो प्रकाशक खुद से छाप देंगे... वैसे कहना मुश्किल है कि ऐसा हो ही चाहेगा... आप अच्छा लेखन कर भी लेंगे तो जल्दी कोई प्रकाशक मिल जाएगा... आप अपनी पूँजी लगाकर छपवा सकते हैं...,"
"क्या मेरी उम्र यानी क्या लोग उनतीस-तीस साल के लेखक के लेखन को महत्त्व देंगे या मैं कुछ साल रूक जाऊँ?
"लेखन का उम्र से क्या ताल्लुक? चेतन भगत की पहली
पुस्तक किस उम्र में आई ?
नारी जीवन की कुछ झलक कविता के माध्यम से....
जग ने रीत बनाई ऐसी,
दो आँगन दो द्वार,
बच्चपन दिल में समेट लिया,
भूल मात - पिता, भाई - बहन का प्यार,
समय में गोते खा रही ,
ढूढ़ रही अपना घर -द्वार ||
श्रद्धा सुमन से सींच रही ,
दो आँगन, दो परिवार ,
सुख़ जीवन में त्याग रही,
विश्वास का पोट किया तैयार ,
समय में गोते खा रही ,
ढूढ़ रही अपना घर -द्वार ||
लेकिन,
बुद्धि !!!
अचानक प्रश्न उठाती है,
क्या सच मे माँ जादू कर पाएगी !
यह भय दूर रहे,
मेरी माँ सी ईश्वरीय छड़ी,
उनके सारे सपनों को पूरा करे,
खुल जा सिम सिम कहते,
सारे बन्द दरवाज़े खुल जाएं
नया रंग जीवन में भरती क़िताबें
कड़ी धूप में छांह बनती क़िताबें
सफ़ह दर सफ़ह अक्षरों को सजाती,
दुनिया को सतरों से बुनती क़िताबें
अजब रोशनी सी बिखरती हमेशा,
तिलस्मी झरोखों सी खुलती क़िताबें
जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है
गै़र के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है
दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है
लोग राम
और राज्य
दोनो को
भूल जाते हैं
ऎसे ही में
कहानीकार
और कलाकार
नई कहानी
का एक
प्लौट ले
हाजिर हो
जाते हैं ।
आदेश दें
फिर मिलते हैं
यशोदा
फिर मिलते हैं
यशोदा
वाह्ह्ह दी सराहनीय रचनाओं का शानदार संकलन...मौन मुखर होता रहे यही कामना है..।
ReplyDeleteसादर।
शुभ प्रभात आदरणीया
ReplyDeleteबहुत ही शानदार संकलन 👌
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आप का
सादर
शुभ प्रभात
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम
सुन्दर नववर्ष की पहली प्रस्तुति। आभार 'उलूक' को जगह देने के लिये यशोदा जी।
ReplyDeleteसस्नेहाशीष संग शुक्रिया छोटी बहना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार संकलन।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई
यशोदा जी, आपने मेरी पोस्ट का चयन किया, इस हेतु बहुत बहुत आभार आपका 🙏
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