Saturday, June 12, 2021

703..गुलज़ार साहब के विचार, वर्तमान ब्रह्माण्ड के भविष्य पर -

थोड़े से करोड़ों सालों में
सूरज की आग बुझेगी जब
और राख उड़ेगी सूरज से
जब कोई चाँद ना डूबेगा
और कोई ज़मीं ना उभरेगी
दबे बुझे एक कोयले सा
टुकड़ा ये ज़मीं का घूमेगा भटका भटका
मद्धम खाकीस्तरी रोशनी में

मैं सोचता हूँ उस वक़्त अगर
कागज़ पे लिखी एक नज़्म कहीं
उड़ते उड़ते सूरज में गिरे
और सूरज फिर से जलने लगे !
- गुलज़ार

9 comments:

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुती

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  3. आभार सभी को
    श्वास चल रही है मुखरित मौन की
    सादर

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  4. खूबसूरत नज़्म। बहुत आभार यशोदा दीदी, मुखरित मैं को श्वांस डेनेबके लिए आपका बहुत बहुत आभार एवम नमन ।

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