Saturday, January 1, 2022

804 ..दल बदल



आओ-आओ देर न करना।
दल-बदल के काम में।
दल बदलुओं की मण्डी है ,
मत फँस जाना जाम में।

कल मस्त थे जिसके दल में
करने में गुणगान रे
पलभर में छोड़ चले सब
बेच दिया  ईमान रे
आओ - आओ, देर न करना
दल ,बदल के काम में

ऋतुओं जैसे  विचार बदलते
मौसम जैसे वाणी
बसन्त जैसे रूप बदलते
वर्षा में ज्यों पानी

हमने तो मतदान दिया था
तुम बिक गए अब नीलामी में
आओ-आओ देर मत करना,
दल बदल के काम में

जनता तो पढ़ी- लिखी है
तुमको इज्जत सम्मान दिया
अपनी उलझन उलझी तो उलझे
लोकतंत्र का मान दिया

रंग बदलने में आपकी दक्षता
गिरगिट भी शर्मा जाए
नए नए स्वांग रचाते
जातें हैं जब भीड़ में
आओ- आओ देर न करना
दल बदल के काम में

दल -बदलू की मण्डी लगी है
फंस मत जाना जाम में


-विष्णु प्रसाद सेमवाल 'भृगु'
बूढ़ा केदार,
टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखंड


3 comments:

  1. वाह! लाजवाब।

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  2. वाह! बहुत खूब!

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  3. सच में, राजनीति में दल बदलना अब आम हो गया है, जैसे मौसम बदलता है वैसे ही लोग अपनी सोच और समर्थन भी पलट देते हैं। कई नेता बस अपनी साख बचाने के लिए स्वाभिमान छोड़ देते हैं, जनता को धोखा देते हैं। तुम्हें क्या लगता है, क्या हम लोगों को ऐसे दल बदल वालों से सच में सतर्क रहना चाहिए या फिर ये खेल चलता रहेगा?

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