Thursday, October 14, 2021

790..शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..

जय मातेश्वरी
“सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”
आज माँ महागौरी  के दर्शन 


एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं 
“सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”। 
महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

आज बस इतना ही
कल माँ सिद्धिदात्री के दर्शन करिएगा

सादर 

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