सादर अभिवादन
ज्योति देहलीवाल अपरिचित नहीं है ब्लॉगजगत के लिए
तुमसर रोड, महाराष्ट्र, निवासी ज्योति बहन
तुमसर रोड, महाराष्ट्र, निवासी ज्योति बहन
अद्यतन जानकारी 84 फॉलोव्हर, 560 पोस्ट्स और पृष्ठ दृश्य है 47, 66, 174
2014 से ब्लॉग लिख रही है अपना सखियों के लिए और पिछले दो वर्षों से ये पुरुषों द्वारा भी पढ़ी जा रही है वज़ह सर्वविदित है कोरोनाकाल में रसोई अधिकतर पुरुषों के हाथ में है ..वे भी सीख रहे हैं और नए प्रयोग भी कर रहे हैं
मैं भी खाई हूँ पनीर बटर मसाला और पनीर भुर्जी इनका बनाया हुआ
पूरा काजू-बादाम झोंक दिया
हम अपनी कन्याओं को इस प्रकार शिक्षा और संस्कारों से विभूषित करे कि जिससे वे दृष्टों से अपने सतीत्व और सम्मान की रक्षा कर सके। निश्चय ही फैशन और अंगों को खुला रखने वाली वेषभूषा व्यभिचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है।
सूखे हुए खजूर को ही खारक ( छुआरा ) कहते है। खारक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। खारक में कार्बोहिड्रेटस, प्रोटीन, कैल्सियम, पौटेशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फरस, लौह आदि प्रचुर मात्र में पाएं जाते है। आज मैं आपको खारक चूर्ण बनाने की विधि बताउंगी।
मन बहलाव व समाज सुधार का बन्दोबस्त भी है यहां पर
जमाना बहुत खराब आ गया है, जनाब! आज कोई भी किसी की नहीं सुनता! बेटा, बाप की नहीं सुनता और बहू, सास की नहीं सुनती!! भाई, भाई पर ही मुकदमा करता है! चोरी, डकैती, बलात्कार ये घटनाएं तो आम हो गई है! बहन-बेटियों का तो घर से निकलना ही दुश्वर हो गया है! जमाना बहुत खराब आ गया है!!
ये सब जुमलें हम आए दिन सुनते रहते है। लेकिन क्या वास्तव में, आज का ही जमाना खराब है? आज के ही लोग खराब है? पहले के जमाने के सभी लोग बिल्कुल अच्छे थे? आइए, हम थोड़ा इस बात पर गौर फरमाते है।
नोटबंदी के दौरान हो रहीं अच्छाइयां
नोटबंदी से पूरा देश कतार में लगा हुआ है। आम जनता को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे वक्त में कुछ छोटे-छोटे आम इंसान महान कार्य कर रहे हैं। पटना की रहने वाली रेखा मोदी एवं उनकी बेटी ने घर में रखें चेंज के पांच हजार रुपये इकट्ठा किए। बैंक जाकर 10-10 हजार रुपये अपने-अपने खाते से निकाले। चार-चार हजार रुपये भी बदलवाए। फिर सोसायटी के वॉट्सएप ग्रुप पर मैसेज डाला कि वे रुपए चेंज करने जा रही हैं। इसके बाद सोसायटी के तीन अन्य लोग भी एक्सचेंज करवाए हुए रुपयों के साथ उनकी मदद के लिए पहुंचे। इस तरह उनके पास 50 हजार रुपए चेंज करने के लिए हो गए। इन लोगों ने पर्थला मार्केट के रेहड़ी पटरी वालों को और झुग्गियों में रहने वालों को उनके 500 और 1000 रुपए के नोट के बदले 100-100 के नोट दिए। ऐसा कार्य सिर्फ रेखा मोदी ने ही नहीं किया तो और भी कई जगहों से ऐसी ख़बरें आई है।
फिर से खाने खजाने की ओर
आपको अमरूद (जाम) की चटनी पिसते वक्त ये दिक्कत होती हैं कि यह चटनी बराबर पिसी नहीं जाती और कुछ डल्ले ( अमरूद की छोटी-छोटी फ़ाके) रह जाते हैं? यदि हां तो आइए, हम चटनी बनाने के लिए कुछ अलग तरीका अपनाते हैं।
नमक पारे कई तरह के बनते हैं। क्या आपने पालक के नमक पारे बनाये हैं? यदि नहीं तो अब ज़रुर बनाइए क्योंकि ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं। तो आइए, बनाते हैं पालक के कुरकुरे नमकपारे
और अंत में...
किसी एक कक्षा में सौ बच्चे हैं। उन सौ बच्चों में शिक्षक से सवाल सिर्फ़ दो-चार बच्चे ही पूछते हैं...क्यों? पाठ्यक्रम एक हैं...पढ़ाने वाले शिक्षक एक हैं...तो फ़िर सिर्फ़ दो-चार बच्चे ही सवाल क्यों पूछते हैं? कहा जाता हैं कि सवाल वो ही लोग करते हैं जिनमें सोचने-समझने की शक्ति हैं। सौ बच्चों में से सोचने समझने की शक्ति जिन दो-चार बच्चों में होगी, वो ही बच्चे सवाल पूछेंगे। मतलब ये कि किसी भी बात पर सवाल करने का संबंध सीधे-सीधे सवाल करने वाले की सोचने-समझने की शक्ति पर, उसकी योग्यता पर और उसकी शिक्षा पर निर्भर हैं।
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आज बस
बड़ी मुश्किल से निकल पाई हूँ
सादर..
आज बस
बड़ी मुश्किल से निकल पाई हूँ
सादर..
ज्योतिजी का ब्लॉग तो जानकारियों का ख़ज़ाना है। बहुत सुंदर रचनाओं का संकलन। बधाई, आभार और शुभकामनाएँ!!!
ReplyDeleteज्योति जी के ब्लॉग पर नित नई जानकारियां से सज्जित पोस्ट देखने का इंतजार रहता है,आपने अब तक हम सभी को काफी कुछ सिखा दिया है,काफी रोचकता से आप अपना हर लेख और कहानी लिखती है,कसे जिज्ञासा बनी रहती है,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय ज्योति बहन ��������
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद, जिज्ञासा दी।
Deleteवाह ,ये तो बढ़िया लिंक्स लग रहे । जाएंफी एक एक करके ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अंक �������� आज मुखरित मौन मंच हमारी हरमनप्यारी प्रिय ज्योति जी के लिए सज़ा है। ज्योति जी की कहूं तो बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं। ब्लॉग पर समाज , परिवार और संस्कृति इत्यादि पर उनके लेखों में, उनका चिंतन लाजवाब रहता है तो उनकी पाक कला उनके सुदक्ष गृहणी होने का प्रमाण है। विभिन्न पकवानों के साथ उनके द्वारा बताए गए अचार, मुरब्बे, चटनियों के बारे में समस्त ब्लॉग जगत ने खूब लाभ उठाया है। मैं अक्सर उनके लेख अपने पारिवारिक ग्रुप में शेयर करती हूं, जो खूब सराहे जाते हैं।। आज के सभी लेख बहुत उम्दा हैं । समाज की दोहरी मानसिकता और दकियानूसीपन पर उनका विश्लेषण आँखें खोलने वाला है। लेखन के हुनर के साथ , समस्त ब्लॉग जगत में, एक उत्तम पाठिका के रूप में उनका किरदार बहुत ही शानदार और जाना पहचाना है। सबके ब्लॉग पर रचना को पढ़कर , स्नेहिल प्रतिक्रिया व्यक्त कर ज्योति जी ने अपनी अलग पहचान बनाई है। ज्योति जी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। इस सुंदर प्रस्तुति के लिए यशोदा दीदी को विशेष आभार।������������❤️����������
ReplyDeleteरेणु दी,आप मेरे लेख अपने पारिवारिक ग्रुप में भी शेयर करती है यह जानकर बहुत खुशु हुई। इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपकी टिप्पनी इतनी सविस्तर और प्रेरणास्पद है कि मैं तो निशब्द हो गई हूं। आपका स्नेह इसी तरह मिलता रहे
मुझ नाचीज के ब्लॉग को इतना सम्मान देने के लिए सांध्य दैनिक मुखरित मौन की संचालिका यशोदा अग्रवाल दी के स्नेह के लिए 'धन्यवाद' जैसा शब्द तुच्छ है।
ReplyDeleteसाँध्य दैनिक मुखरित मौन में आ.ज्योति जी की नई पुरानी ज्ञानवर्धक उपयोगी जानकारियां शेयर करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।ज्योति जी को भी बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी रहती ही ज्योति जी के ब्लॉग पर!! यहां भी ज्ञानवर्धक जानकारी दी है! बहुत बहुत धन्यवाद!!
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