सादर अभिवादन
मैंनें जिज्ञासा जी से उनकी पसंदीदा रचनाए की दरख़्वास्त की थी
और उन्होंने मुझे पाँच लिंक दिया..बागीचे में आने के बाद और भी पुष्प दिखाई दिए
लोभ संवरण नही हुआ सो आज उनके तीनों ब्लॉग से परिचित करवाती हूँ आपको
2020 से अब तक पृष्ठ दृष्य 36887
तीन ब्लॉग..
जिज्ञासा की जिज्ञासा, जिज्ञासा के गीत, गागर में सागर..
जिज्ञासा सिंह के बारे में उन्हीं की जुबानी..
व्योम के विशालकाय परिदृश्य में, सिन्धु के गर्भ में, धधकते मरुस्थल में, संपूर्ण सृष्टि और ब्रम्हांड के चर अचर प्राणियों में विचरण करने के उपरांत परिकल्पनायें कुछ कहने के लिए अधीर हो उठती हैं ,जिन्हें अमर्त्य बनाने के लिये मानव मानस को कुछ सृजनात्मक और सारगर्भित कार्य करने चाहिए । उसी सन्दर्भ में कुछ रेखांकित करने का नव प्रयास है
प्रेम का दिया अलौकिक
तम को सदा मिटाता
बिन आदान प्रदान
प्रेम घटता है जाता
इसे प्रचंड प्रखर फिर करना होगा ।
मन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा ।।
तरुवर के नीचे छहाएँ, सखी नन्हें बालक
तरुवर से हँस बतियाएँ, सखी नन्हें बालक
तरुवर की डाल चढ़ जाएँ, सखी नन्हें बालक, अँखियन देखा
सपने में आज सखी तरुवर देखा
समाज सुधार कथा
मेरे कई बार पूँछने के बाद वह रोती हुई बोली कि यहाँ से जाने के बाद , उसके घरवाले ने उसे कभी कोई काम नहीं करने दिया पर उसकी बड़ी बेटी को किसी के घर छोड़ आया और बोला कि अब हमें कभी भी पैसों की कमी नहीं पड़ेगी,मेमसाहब तब से आज तक मैंने बेटी को एकबार भी नहीं देखा, और घरवाला खुद दारू पी कर पड़ा रहता है और जैसे ही नशा उतरता है, फिर कहीं से पैसे लाता है और खा पी के खत्म कर देता है, इतना कहते कहते वह ज़ोर ज़ोर से रोते हुए मेरे पैरों पे गिर पड़ी और गिड़गिड़ाने लगी, मेमसाहब मेरी लड़की को बचा लीजिए ,मेरी लड़की को घरवाले ने बेंच दिया है
डेरा
चाहे जितना लगा लो फेरा
चारों दिशाओं में शाम हो या सवेरा
मिलेंगी शांति तुम्हे आ के वहीं
जहां हो मातृशक्ति का बसेरा
खुली आँख से जो कुछ देखा
वही बना ली जीवनरेखा
बाक़ी सब कर के अनदेखा
आगे बढ़ कर देखा
कुछ तो अच्छा होगा ही
...
इतनी रचनाओं के बाद भी मेरा मन नहीं भरा
फिर कभी बाकी की रचनाएँ पढ़वाऊँगी
सादर
जिज्ञासा दी कि रचनाएं भी मैं पढ़ती रहती हूं। बहुत ही उम्दा रहती है। उनकी कलम यूं ही अग्रेसर रहे यहीं शुभकामनाएं...
ReplyDeleteज्योति जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को मेरा सादर नमन, आपका बहुत बहुत आभार 🙏💐
Deleteआदरणीय दीदी, प्रणाम !
ReplyDeleteहम तक ये अंक पहुंचाने के लिए बहुत ही श्रम करती हैं आप, लिंक भेजने के बाद भी आपने अपनी खोजी दृष्टि से कुछ अन्य को भी चयनित किया,ये मेरे लिए उपहार स्वरूप है, मैंने तो और दोनों ब्लॉग देखा भी नहीं था, न ही ध्यान आया,आपका जितना आभार करूं कम है,मुझे खुद आपका चयन ज्यादा अच्छा लग रहा है।
मेरी पहली पोस्ट की आपकी टिप्पणी ने मेरा आज तक का हौसला बरकरार रखा और मैं आप सबके निरंतर मिलते स्नेह और मनोबल से नव सृजन कर पा रही हूं,पहले दिन से आज तक के आपके स्नेह की निरंतर आभारी हूं,आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा हार्दिक नमन, सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 🙏🙏💐💐,,
जिज्ञासा जी की हर रचना मन को तृप्ति देने के साथ इनकी अगली रचना की जिज्ञासा जगा जाती है। बस लेखनी चलती रहे, माँ सरस्वती से यही आराधना है।
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन जी,आप सभी का प्रोत्साहन है, कि लेखनी अपनी गति से चल रही है,आपने हमेशा हौसला बढ़ाया जिसके लिए सदैव आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन करती हूं,आपको मेरा सादर अभिवादन 🙏🙏
Deleteलाजवाब लेखन। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनिरंतर प्रोत्साहाहित करने के लिए आपकी हार्दिक आभारी हूँ, आपको मेरा सादर नमन।
Deleteबहुत सुंदर शानदार रचनायें
ReplyDeleteमेरी रचनाओं को अपना समय देकर पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार विनीता जी,सादर नमन।
Deleteप्रिय जिज्ञासा जी की रचनाओं से सजा आज का अंक अपने आप में विशेष है | जिज्ञासा जी ने बहुत कम समय में , ब्लॉग जगत में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है | जहाँ तक मैंने जाना हैं जिज्ञासा जी को शब्द चित्र रचने में महारत हासिल है | किसी भी प्रसंग को रोचक अंदाज में कविता में ढालने में ये खूब दक्ष हैं |साथ में अपने दूसरे ब्लॉग पर गद्य में संवेदनशील लेखन और तीसरे ब्लॉग पर सरस , मधुर लोकगीतों को सहेजना जिज्ञासा जी का लोक संस्कृति और गीत - संगीत के प्रति अनन्य लगाव का परिचायक हैं |प्रकृति और अनबोले प्राणियों के प्रति अनुराग की परिणति है ब्लॉग पर अंकित ढेरों रचनाएँ जिनमें वृक्ष हैं , प्रकृति संरक्षण के संदेश और मूक प्राणियों के प्रति गहरी करुणा है | कई दुर्लभ विषयों पर उनकी रचनाएँ निशब्द करती हैं!अपने ब्लॉग पर लेखन के साथ सामूहिक मंचों , दूसरे रचनाकारों की रचनाओं पर प्रेरक और शालीन प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उनकी उपस्थिति बनी रहती है | यशोदा दीदी और मुखरित मंच को आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए | जिज्ञासा जी को ढेरों बधाई और शुभकामनाएं आज की शाम उनके ब्लॉग के नाम होने के लिए | माँ शारदे कीक्रिपा दृष्टि उनकी कलम पर सदा रहे |
ReplyDeleteप्रिय रेणु जी,अपने बारे में आपकी प्रतिक्रिया को पढ़कर निःशब्द हूँ, सच कहूँ तो ब्लॉग जगत में मेरे पहले दिन से आज तक आपकी हर प्रतिक्रिया से एक नई ऊर्जा मिली है,जिसका जितना आभार करूँ कम है,आपकी प्रतिक्रिया में भी शब्दचित्र की छाया मिलती है,जो कविता की समीक्षा और व्याख्या दोनो कर जाती है,जिसका मोह मेरे जैसे रचनाकार स्वाभाविक रूप से नहीं छोड़ पाते हैं,आशा है,आपका ये प्रेम भरा स्नेह ऐसे ही मिलता रहेगा,आपका बहुत बहुत आभार एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteकृपया क्रिपा दृष्टि को कृपा दृष्टि पढ़ें |
ReplyDeleteप्रिय जिज्ञासा जी की रचनाओं का विस्तृत संसार उनकी प्रतिभासंपन्न लेखनी की अनूठी खुशबू से तर-ब-तर है।
ReplyDeleteमुझे उनकी रचना के विचारों के साथ उसमें निहित सरस प्रवाह बहुत अच्छा लगता है। कथा-काव्य लिखने में उनकी सानी नहीं। साथी लेखकों की रचनाओं पर जिज्ञासा जी का मधुर और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया उनके विनम्र स्वभाव का परिचायक है। अभी तो प्रारंभिक परिचय हुआ है उनकी लेखनी से मुझे यकीन है आने वाले समय म़े जिज्ञासा जी हम सभी को अचंभित करती हुई सबके हृदय में विशिष्ट स्थान प्राप्त करेंगी।
अनंत,अशेष मंगलकामनाएं प्रिय जिज्ञासा जी आपकी प्रतिभासंपन्न लेखनी के लिए मेरी भी स्वीकार करें।
सस्नेह।
प्रिय श्वेता जी,अपने लिए आपकी सुंदर भावों से सज्जित प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ,आप सबने हम जैसे रचनाकारों की रचनाओं को मंच पर स्थान देकर हमारी विचारधारा को परिष्कृत किया है,और हम उसी प्रोत्साहन के बदौलत कुछ नया सृजन कर पा रहे हैं,जितना आभार करूँ कम है,आपके स्नेह की हमेशा आभारी हूँ,आपको मेरा सप्रेम सादर अभिनंदन और हार्दिक शुभकामनाएँ।
Deleteआज के मुखरित मौन पर बेहतरीन रचनाकार की बेहतरीन रचनाओं को लाया गया है । सुंदर रचनाओं के संकलन के लिए साधुवाद
ReplyDeleteआदरणीय दीदी,सादर अभिवादन !
ReplyDeleteआपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूँ,शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..