क्यों इतना उदास है?
वह मिल के नहीं मिलते
जिनसे
मिलने की प्यास है!
अपने को खोजता है
किसी और की छाया में
रहता है खुद से दूर
मगर गैरों के पास है!
खुशियों के सारे पल
इसी
वहशत में गुज़र जाते है
साध अधूरी रहने का सोग
हम रोज़ ही मनाते हैं!
इतना
समझना काफी है
जो भी होता है
आकस्मिक नहीं ,
निर्धारित है।
हर चीज़ का समय है
किसी सूत्र से
संचालित है।
मौसम भी रंग बदलते हैं
चाँद सूरज भी
रोज़ ढलते हैं
कुछ लोग चले जाते हैं
कुछ मीत नए मिलते है!
जो बेगाने है
तुम्हारे थे ही नहीं,
खुद ही चले जायेंगे।
जो
एक डोर से बंधे है
वह
जाकर भी लौट आयेगे।
अपना चाहा
हो जाये तो बहुत अच्छा,
न हो ,तो उससे बेहतर।
शाश्वत सत्य है,
यकीन कर लो तो सोना है
वर्ना गर्द से भी बदतर!
- सुरेन्द्रनाथ कपूर
अपना चाहा
ReplyDeleteहो जाये तो बहुत अच्छा,
न हो ,तो उससे बेहतर।
शाश्वत सत्य है,
यकीन कर लो तो सोना है
वर्ना गर्द से भी बदतर
–मन को बहलाने का छलावा है
अच्छा चयन ।
ReplyDeleteआभार दीदी..
Deleteइस कोरोना काल में
जीवन की तलाश करता
मुखरित मौन..
सादर नमन..
वाह !मन की कशमकश को जाहिर करता सार्थक सृजन | एक ही रचना काफी है | मंच पर हलचल हुई , अच्छा लगा रहा दीदी | आपको आभार और शुभकामनाएं|
ReplyDeleteडी आर डी ओ की दवा मिल गई है
Deleteसांसे लौट रही है..
सादर
आप स्वस्थ और सलामत रहि ।DRDO। की दवा के साथ दुआएं भी तो हैं। सुप्रभात और प्रणाम 🙏🙏💐💐🌷🌷❤️❤️🌷
Delete"...
ReplyDeleteअपने को खोजता है
किसी और की छाया में
रहता है खुद से दूर
मगर गैरों के पास है!
..."
मन को टटोलती बहुत ही शानदार रचना।
और जो इन बातों पर यकीन कर लिया वह वाकई अपने जिंदगी को जीत रहा है।
बहुत बढ़िया रचना,अच्छा लगा आपको यहां देखकर,बहुत सारी शुभकामनाएं आपको आदरणीय दीदी,आपको मेरा मन एवम वंदन ।
ReplyDeleteआक्सीजन मिला है...
ReplyDeleteवैक्सीन भी लग गया है..
सादर..
बहुत बढ़िया । आपके आगे पीछे हम भी हैं, बस महसूस करते रहें अपनापन,समय कट जाएगा । आपको बहुत शुभकामनाएं ।
Deleteसभी जन सुरक्षित व स्वस्थ रहें, यही कामना है
ReplyDeleteअन्तर्द्वन्द से जूझता मन
ReplyDeleteअरे?
ReplyDeleteयहाँ पोस्टिंग चालू हो गई
हम पिछले सप्ताह से खाली थे
आएंगे कल..
सादर...
अच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete