सादर अभिवादन
आज फिर हम
आज जो कुछ भी नही बोलेंगे
एक खुश ख़बरी देंगे
2013 से कोमा में था एक ब्लॉग
आज आखिर करवट ले ही लिया आज
एक रचना आई है..स्वागत करिए
डॉ. प्रतिभा स्वाति..
आग बुझ तो गई पर ....डॉ. प्रतिभा स्वाति
उसने दु:खी होकर कहा
राजन .....आग
बस्ती में फ़ैल गई ...
कुछ जलके मर गए ...
कुछ भाग गए
और कुछ
आग बुझाने में लग गए !
आग बुझ तो गई पर
बुझाने वाले
कुछ जलकर
कुछ थककर
कुछ प्यास से
मर रहे हैं ... अब भी ..
हम जो कल थे, आज भी हैं ....कुलदीप सिंह
सारा विश्व तो पराजित हो गया,
अब तुम ही अपनी शक्ति दिखाओ,
हे ज्ञान दीप, हे श्रेष्ठ भारत!
इस करोना पर भी विजय पाओ।
हमारे पास है अलौकिक ज्ञान,
उपनिषद और वेद पुराण,
मदर्स डे का अनूठा गिफ्ट ..ज्योति देहलीवाल
थोड़ी देर बाद शिल्पा ने पूछा, ''मम्मी, क्या आपको हमारा मदर्स डे का गिफ्ट स्वीकार हैं?'' उनके मम्मी के चेहरे पर शर्म की ऐसी लाली छाई कि एक नवयौवना भी क्या शरमाएगी! खुशी, प्यार ये सब भावनाएं उम्र की मोहताज नहीं हैं। उनकी मम्मी खुशी से उन दोनों को अपनी बाहों में समेट लेती हैं। सचमुच, इतना अच्छा, इतना अनूठा...मदर्स डे का गिफ्ट शायद ही किसी ने अपनी माँ को दिया होगा!!!
बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ...रेणुबाला
बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ,
है अवरुद्ध कंठ ,सजल नयन
बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
कम्पित अंतर्मन -कर रहा प्रश्न -
बोलो माँ आज कहाँ तुम हो ?
संबंधों के बंध न छूटें ...सुधा सिंह व्याघ्र
संबंधों के बंध न छूटें ,
आओ कुछ पल संवाद करें ।
प्रेम से माँ वसुधा को भर दें ,
हर हृदय को आबाद करें ।। 1
इर्ष्या की आँधी ने देखो
सब पर घेरे डाले हैं ।
नहीं जुझारू डरे कभी भी
वो तो हिम्मत वाले हैं।।
नफरत की आँधी रुक जाए
आओ कुछ ऐसा नाद करें । 2
चांद को इश्क़ है ....संध्या राठौर
चांद को इश्क़ है
धूप से क्यूं भला ?
रातों के ....
चांद का ....
दिन की धूप से
ये सिलसिला
क्योंकर चला
कहो तो ज़रा....
.....
बस आज इतना ही
शायद कल फिर
दिग्विजय
आज फिर हम
आज जो कुछ भी नही बोलेंगे
एक खुश ख़बरी देंगे
2013 से कोमा में था एक ब्लॉग
आज आखिर करवट ले ही लिया आज
एक रचना आई है..स्वागत करिए
डॉ. प्रतिभा स्वाति..
आग बुझ तो गई पर ....डॉ. प्रतिभा स्वाति
उसने दु:खी होकर कहा
राजन .....आग
बस्ती में फ़ैल गई ...
कुछ जलके मर गए ...
कुछ भाग गए
और कुछ
आग बुझाने में लग गए !
आग बुझ तो गई पर
बुझाने वाले
कुछ जलकर
कुछ थककर
कुछ प्यास से
मर रहे हैं ... अब भी ..
हम जो कल थे, आज भी हैं ....कुलदीप सिंह
सारा विश्व तो पराजित हो गया,
अब तुम ही अपनी शक्ति दिखाओ,
हे ज्ञान दीप, हे श्रेष्ठ भारत!
इस करोना पर भी विजय पाओ।
हमारे पास है अलौकिक ज्ञान,
उपनिषद और वेद पुराण,
मदर्स डे का अनूठा गिफ्ट ..ज्योति देहलीवाल
थोड़ी देर बाद शिल्पा ने पूछा, ''मम्मी, क्या आपको हमारा मदर्स डे का गिफ्ट स्वीकार हैं?'' उनके मम्मी के चेहरे पर शर्म की ऐसी लाली छाई कि एक नवयौवना भी क्या शरमाएगी! खुशी, प्यार ये सब भावनाएं उम्र की मोहताज नहीं हैं। उनकी मम्मी खुशी से उन दोनों को अपनी बाहों में समेट लेती हैं। सचमुच, इतना अच्छा, इतना अनूठा...मदर्स डे का गिफ्ट शायद ही किसी ने अपनी माँ को दिया होगा!!!
बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ...रेणुबाला
बोलो माँ ! आज कहाँ तुम हो ,
है अवरुद्ध कंठ ,सजल नयन
बोलो ! माँ आज कहाँ तुम हो ?
कम्पित अंतर्मन -कर रहा प्रश्न -
बोलो माँ आज कहाँ तुम हो ?
संबंधों के बंध न छूटें ...सुधा सिंह व्याघ्र
संबंधों के बंध न छूटें ,
आओ कुछ पल संवाद करें ।
प्रेम से माँ वसुधा को भर दें ,
हर हृदय को आबाद करें ।। 1
इर्ष्या की आँधी ने देखो
सब पर घेरे डाले हैं ।
नहीं जुझारू डरे कभी भी
वो तो हिम्मत वाले हैं।।
नफरत की आँधी रुक जाए
आओ कुछ ऐसा नाद करें । 2
चांद को इश्क़ है ....संध्या राठौर
चांद को इश्क़ है
धूप से क्यूं भला ?
रातों के ....
चांद का ....
दिन की धूप से
ये सिलसिला
क्योंकर चला
कहो तो ज़रा....
.....
बस आज इतना ही
शायद कल फिर
दिग्विजय
बढ़िया लिंक्स। मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिग्विजय भाई।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteउम्दा पठनीय लिंको से सजी शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteबेहतरीन चयन .... शानदार प्रस्तुति ... शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को धरोहर और मुखरित मौन में लेने के लिए सादर आभार 🙏🙏
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