सादर अभिनन्दन..
तथा करक चतुर्थी की शुभकामनाएँ..
आज पहली बार देवी जी उपवास कर रही है
सुबह उठने से पहले ही पानी पी लिया
उसके बाद उन्हें पानी नहीं पीना है
तथा करक चतुर्थी की शुभकामनाएँ..
आज पहली बार देवी जी उपवास कर रही है
सुबह उठने से पहले ही पानी पी लिया
उसके बाद उन्हें पानी नहीं पीना है
इस बार का करवाचौथ बेहद खास,
70 साल बाद बन रहा शुभ संयोग
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना...
ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना
भूखी-प्यासी मैं दिनभर की बेकरार
छलनी से करूंगी साजन का दीदार
शर्म लाल होंगे तब मेरे रुखसार
पिया मिलन में देर न लगा जाना
देखिए किसने क्या लिखा...
करवाचौथ का बाजारयुग…ऐसे किस देवता की उपासना करें हम
नासदासीन नो सदासीत तदानीं नासीद रजो नो वयोमापरो यत।
किमावरीवः कुह कस्य शर्मन्नम्भः किमासीद गहनं गभीरम॥
दरअसल करवा चौथ भगवान गणेश की आराधना का पर्व है जिसमें सिर्फ पति ही नहीं, संतान व परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए सद्बुद्धि की आराधना की जाती है परंतु इसे सिर्फ पति तक सीमित कर दिया गया। ये क्यों और कब हुआ, इसका तो नहीं पता परंतु इतना अवश्य है कि ”कुछ लोगों” तक सिमटी शिक्षा के चलते ये अपभ्रंशित तस्वीर ही करवा चौथ बनकर रह गई है। जिन व्रतों को जीवनपद्धति के लिए स्थापित किया गया था, उन्हें बाजार ने निगल लिया और गिफ्ट के लेनदेन ने इसे ”व्यवहार” बनाकर रख दिया। ....
गौर तलब है
(हमारी खरीददारी बाकी है)
करवाचौथ पर ....
थक गईं नजरें तुम्हारे दर्शनों की आस में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
चमकते लाखों सितारें किन्तु तुम जैसे कहाँ,
साँवरे के बिन कहाँ अटखेलियाँ और मस्तियाँ,
गोपियाँ तो लुट गईं है कृष्ण के विश्वास में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
गौर तलब है
(कृपया ब्यूटी पार्लर का बिल चुका दें)
वो ताजा चाँद ...
मर्यादित
आवश्यकता
और ख़ुशी ..
हाँ ... मैंने ढूंढ ली है
नमी में ख़ुशी
पूनम की रात सी
खिलती चांदनी सी ख़ुशी
तपती रेत की गर्मी में
महसूस की ख़ुशी
मन की भूख में ..
गौर तलब है
(डिनर को टाईम से पहले ही मंगाएँ)
करवाचौथ का चांद ...
चाँद कुछ कहता है
कहा था उसने
चाँदनी रात के साए में
तनिक रुको,
अभी मुड कर आता हूँ मैं ..
तब से
भोर के तारे को
मैंने उसके इन्तजार में
रोक कर रखा है ....
गौर तलब है
(एक अच्छा सा ज्यूलरी सेट लेकर रखें)
दुआ ...अश्विनी ढुंढाड़ा
"एक औरत जिसे उसका पति प्यार नहीं करता
वहीं औरत उसकी लंबी उम्र की दुआ करती है"
तेरी लंबी उम्र के लिए मेंने बहुत लंबी दुआ मांगी है
रात को चाँद से तो दिन में सूर्य से हिफाजत मांगी है
गौर तलब है
(आज कोई काम न बताएँ)
नैन किनारे ...पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
उलझे ये दो बूँद तुम्हारे, नैन किनारे!
गम अगाध, तुम सह जाते थे,
बिन कुछ बोले, तुम रह जाते थे,
क्या, पीड़ पुरानी है कोई?
या, फिर बात रुहानी है कोई!
कारण है, कोई ना कोई!
क्यूँ उभरे हैं ये दो बूँद, नैन किनारे!
गौर तलब है
(आज किसी काम में चूक न हो)
अब बस देवी जी को एक दवा देना है
सादर
थक गईं नजरें तुम्हारे दर्शनों की आस में।
ReplyDeleteआ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
भावपूर्ण अंक एवं रचनाएँ, नमन।
उव्वाहहहह..
ReplyDeleteआभार..
सादर..
वाह एक से बढ़ कर एक
ReplyDeleteवाह। बधाईयाँ चाँद को भी और देखने वाले को भी। सुन्दर अंक।
ReplyDeleteनजर ना लगे छोटी बहना के सौभाग्य को
ReplyDeleteअति सुंदर प्रस्तुतीकरण
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteगौरतलब तो बहुत कुछ है किंतु सुबह उठने से पहले पानी पी लिया ? मजाक है या सच ?
ReplyDeleteशुभ दिन की सुंदर प्रस्तुति। शुभकामनाएँ।
करवा चौथ की शुभकामनाओं सहित सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई ।
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर अंक और चाँद ही चाँद ही का दीदार कराती रचनाएँ | और आदरणीय भैया पानी सुबह अलसुबह सभी महिलाएं पीती हैं , ये कोई नयी बात नहीं बतायी | हाँ दिन भर की देखभाल के बदले दवाई का जिक्र करना ना भूले | आखिर पति जो ठहरे !!! पर सच में बहुत प्यारा अंक है |आप दोनों के साथ ब्लॉग जगत की सभी जोड़ियों को करवा चौथ मुबारक हो |
ReplyDeleteकुछ पंक्तियाँ आज की रात के चाँद लिए
तुम चाँद मेरे -सलामत रहना -
बन मेरी प्रीत का जगमग गहना
तुमसे सब साज श्रृंगार मेरे
ख़ुशी मेरी अधिकार मेरे
तुम राजा मैं रानी सी
तुम मान मेरे मनुहार मेरे
मैं रहूँ तुम संग सदा सदा
बिछ्डू तुमसे वो पल आये ना
तुम चाँद मेरे सलामत रहना !!!!!!!
सुंदर अंक के लिए कोटि आभार !!
करवाचौथमय हो गया आज तो ... औश्र लगे हाथ ''बहुत बढ़िया संकलन है रचनाओं का'', कह कर हम अपने मुंंह मियों मिठ्ठू भी बन लिए दिग्विजय जी । धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाये
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार digvijay ji