सादर अभिवादन
अक्टूबर जाने को है तत्पर
जाने दो हमें क्या
लाया तो कुछ नहीं
पर जेबें ढीली कर के जा रहा है
अक्टूबर जाने को है तत्पर
जाने दो हमें क्या
लाया तो कुछ नहीं
पर जेबें ढीली कर के जा रहा है
होने दो हमें क्या
चलिए रचनाओँ की ओर..
चलनी में चाँद.... साधना वैद
करवा चौथ की सभी बहनों को हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई !
कल करवा चौथ का त्यौहार है ! उत्तर भारत में यह त्यौहार बड़े
जोश खरोश के साथ मनाया जाता है ! सुहागन स्त्रियाँ अपने
पति की लंबी आयु व मंगलकामना के लिये सूर्योदय से चंद्रोदय
तक निर्जल निराहार व्रत रखती है और संध्याकाल में सारे
विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर चन्द्रमा के निकलने
की आतुरता से प्रतीक्षा करती हैं ! जब आसमान में चाँद निकल
आता है तब चाँद को अर्घ्य दे अपने पति के हाथ से पानी पीकर
अपना व्रत खोलती है ! पति के लिये इस तरह का अनन्य प्रेम, सद्भावना और भावनात्मक लगाव सभीको प्रभावित करता है !
मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है आप सबसे यह बात साझा करते हुए
कि हमारे शहर आगरा में गत वर्ष कई मुस्लिम बहनों ने भी
इस व्रत को रखा ! उनका कहना था कि अपने पति की
मंगलकामना के लिये तो वे भी यह व्रत रख सकती हैं !
इसमें धर्म को कहीं से आड़े नहीं आना चाहिये !
चलिए रचनाओँ की ओर..
चलनी में चाँद.... साधना वैद
करवा चौथ की सभी बहनों को हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई !
कल करवा चौथ का त्यौहार है ! उत्तर भारत में यह त्यौहार बड़े
जोश खरोश के साथ मनाया जाता है ! सुहागन स्त्रियाँ अपने
पति की लंबी आयु व मंगलकामना के लिये सूर्योदय से चंद्रोदय
तक निर्जल निराहार व्रत रखती है और संध्याकाल में सारे
विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर चन्द्रमा के निकलने
की आतुरता से प्रतीक्षा करती हैं ! जब आसमान में चाँद निकल
आता है तब चाँद को अर्घ्य दे अपने पति के हाथ से पानी पीकर
अपना व्रत खोलती है ! पति के लिये इस तरह का अनन्य प्रेम, सद्भावना और भावनात्मक लगाव सभीको प्रभावित करता है !
मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है आप सबसे यह बात साझा करते हुए
कि हमारे शहर आगरा में गत वर्ष कई मुस्लिम बहनों ने भी
इस व्रत को रखा ! उनका कहना था कि अपने पति की
मंगलकामना के लिये तो वे भी यह व्रत रख सकती हैं !
इसमें धर्म को कहीं से आड़े नहीं आना चाहिये !
और नहीं कुछ दुनिया में
हंसी-खुशी दिन कट जाए।
जीवन का हर अंधेरा
प्रभु नाम से हट जाए ।।
चारों ओर होती रहे खुशियों की बरसात
सुप्रभात ..सुप्रभात....!!
धूल जम चुकी है चाँद पे क्या ?
या सिलबट्टे पे खुद को घिसता रहता है?
ना जाने ये चाँद क्यूँ रातों में अक्सर
कतरा-कतरा मुझपे गिरता रहता है?
मुंह बिचकाये रहता है, और
कहता है-'तुमने मुझको छोड़ दिया
उतर आई हो खुद ज़मीन पे, और
मुझको ऊपर तन्हा छोड़ दिया
यूँ हीं छूट जाते है, स॔गी-साथी,
ये सहारे, हाथ हमारे, जीवन किनारे!
संदली सांझ के, ये हल्के से साये,
हो जाती हैं ओझल, रंगीन सी वो राहें,
गुजर जाती हैं, निर्बाध ये डगर,
धुँधलाती सी, बढ़ जाती है ये सफर,
एकाकी से होते, एक पथ पर,
उलझी सी, अलकों,
सुनी सी, पलकों के सहारे,
जीवन किनारे!
रुपहली चांदनी में
कलकल करती नदिया तीरे
दिखते दो बदन
पिघल रहे थे
चंद्र किरणों की तपिश से,
सरिता के शीतल नीर की छुअन
कर रही थी प्रज्ज्वलित
अगन हृदय में ,
किसने कहा तुमसे
कि दामन थाम लो मेरा
क्या है सम्बन्ध मेरा तुमसे
जग जाहिर किया जब से
नफरत सी हो गई है
नजरों के सामने से हटे जब से
तुम किसी काबिल नहीं हो
आज को अब जाने दो
रोके कौन रुका है ..हमें क्या
रोके कौन रुका है ..हमें क्या
सादर..
जी दी शुभ साँझ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचनाओं के सूत्र पिरोये हैं आपने।
सुंदर संकलन।
हमेशा की तरह उत्कृष्ट प्रस्तुति । मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाओं का मनलुभावन संकलन।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय सखी यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसुन्दर अंक।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
सुप्रभात
ReplyDeleteउम्दा संकलन लिंक्स का |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बहुत अच्छी रचनाओं के सूत्र पिरोये हैं आपने। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद 1 सभी रचनाकारों को बधाई।
ReplyDeleteमेरी रचना की पंक्ति को टाइटल बनाया आपने बहुत ही सुखद एहसास हुआ। .बहुत बहुत आभार....बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं..बधाई