Saturday, October 12, 2019

142..अक्ल पर पड़े पर्दे को समय से उठना भी पड़ता है

सादर अभिवादन..
शरद पूर्णिमा कल है...
पर आज महानायक का जन्मदिन है
आज वे 77 वाँ जन्मदिन मना रहे हैं
पहले उनकी फिल्म का एक गीत सुनते हैं
अमिताभ बच्चन..जी हाँ ...
वही जो कुली फिल्म मे चोटिल हुए थे
सादर अभिनन्दन व शुभकामनाएँ


चलें रचनाओँ ओर..

एक कवि, जब मर जाता है ....
चरणबद्ध तरीके से
बंद करता है एक-एक कपाट
प्रत्येक खिड़कियाँ, हरेक रोशनदान को;
जिनसे, बेबस कविताओं की
नन्हीं-नन्हीं कोंपलें झाँक रही होती हैं,
उसकी हर एक साँस को माप रही होती हैं।


दर्द का रिश्ता .....
निर्मलता की उपमा से,
क्यों प्रेम मलीन करूँ अपना,
तुम जानो अपनी सीमाएँ,
मैं जानूँ, तुम हो सपना !
साथ छोड़कर मत जाना,
भटकाव सँभलता है तुमसे !
बरसों से भूला बिसरा,
इक चेहरा मिलता है तुमसे !


मुर्दो ने पूछा ...
मुर्दो ने पूछा ,
आज यहाँ क्यों,
आये हो ,
क्या अपने घर ,
का रास्ता भूल ,
आये हो ,
मैंने कहा सुना था ,
भूत लोगो को ,
डराते है ,
कभी सपने में ,
को कभी सामने ,
आ जाते है |


वही शख्स पुराना लगता है ....
My Photo
कोई लकल्लुफ नही रहा गुफ्तगू मे
ताल्लुकात बहुत पुराना लगता है

हमकलाम हुए है हम कई दफा सुरज से
हमारा महताब पर आना जाना लगता है


भेद का पर्दा ...

कभी होता है जरुरी हटना भी
पर पर्दे का कई बार
हो जो अगर पड़ा अक्ल पर
और समय से उठना भी
प्रदर्शन शुरु होने से पहले
किसी भी मंच पर
और हाँ !!! ...
हटा रहे मन से भी
हर एक भेद का पर्दा 

आज के लिए इतना ही..
सादर





5 comments:

  1. गैर-कांग्रेसवाद के अगुआ समाजवादी नेता डा० राममनोहर लोहिया की आज पुण्य तिथि भी है। हमारे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के वे प्रेरणास्रोत हैं, हालांकि पूंजीवाद का प्रभाव इस राजनैतिक दल पर भी पड़ा। पार्टी पर कब्जा को लेकर संस्थापक मुलायम सिंह यादव का परिवार बिखर गया और मिशन कमजोर पड़ गया।
    डॉ. लोहिया की छवि आमतौर पर कांग्रेस विरोधी राजनेता की है। उन्होंने आज़ादी के बाद कांग्रेस की पूंजीवादी नीतियों का ज़बरदस्त विरोध भी किया और जीवन के अंत तक कांग्रेस विरोध की ही राजनीति की। जाति, भाषा, आर्थिक न्याय जैसे सवालों पर उन्होंने भारत के आम जन के हित की बातें कीं और उसी सोच को आगे बढ़ाया।

    वैसे , फिल्म जगत को अलग पहचान देने वाले उसके महानायक के जन्मदिन पर विशेष प्रस्तुति के लिये यशोदा दी मेरा आभार और प्रणाम भी..

    ReplyDelete
  2. व्वाहहहह...
    शुभकामनाएँ..
    सेंचुरी को 23 वर्ष..
    आसानी से पार कर लेंगे..
    सादर..

    ReplyDelete
  3. मेरी रचना को मुखरित मौन सांध्य दैनिक में स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया यशोदा दी। सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. सुंदर लिंक्स से सजी मौन सांध्य।
    वाह।

    ReplyDelete
  5. वाह सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete