स्नेहिल अभिवादन
आज तो लोग लिखे ही नहीं कुछ
चलिए आज एक ही ब्लॉग से रचनाएँ लाते हैं
आज का ब्लॉग है
क्षितिज
जाना पहचाना
ब्लॉगर हैं रेणुबाला
आज तो लोग लिखे ही नहीं कुछ
चलिए आज एक ही ब्लॉग से रचनाएँ लाते हैं
आज का ब्लॉग है
क्षितिज
जाना पहचाना
ब्लॉगर हैं रेणुबाला
कोरे कागज पर उतर कर .
ये अमर हो जायेंगे ;
जब भी छन्दो में ढलेंगे ,
गीत मधुर हो जायेंगे ;
ना भूलूँ जिन्हें उम्र भर
बन प्रीत के तराने रहो तुम !
तुम बिन थम जाएगा साथी ,
मधुर गीतों का ये सफर ;
रुंध कंठ में दम तोड़ देगें -
आत्मा के स्वर प्रखर ;
बसना मेरी मुस्कान में नित
ना संग आंसुओं के बहना तुम
रूह से लिपटी जाय-
तनिक विलग ना होती,
रखूं इसे संभाल -
जैसे सीप में मोती ;
सिमटी इसके बीच -
दर्द हर चली भूल सी !!
कब माँगा था तुम्हे
किसी दुआ और प्रार्थना में ?
तुम कब थे समाहित -
मेरी मौन अराधना में ?
आ गये अपने से बन क्यों
बंद ह्रदय के द्वारे ! !
मिटाती मलिनता अंतस की
मन प्रान्तर में आ बस जाए
रूप धरे अलग -अलग से -
मुग्ध, अचम्भित कर जाए
किसी पिया की है प्रतीक्षित --
लिए मन की चादर कोरी सी ! !
सखी रेणु काफी दिनों से ब्लॉग नहीं लिख रही है
लगता है...मन रम गया है श्रीकृष्ण में
सादर
लगता है...मन रम गया है श्रीकृष्ण में
सादर
लाजवाब लिखती हैं रेणु जी। उनके लेखन के लिये शुभकामनाएंं।
ReplyDeleteसादर आभार सुशील जी 🙏🙏🙏
Deleteरेणु दी शब्दों को अपनी लेखनी से छूकर जीवित कर देती हैं। सरल सहज निसृत भाव मन स्पर्श कर रचना को महसूस करने पर विवश करते हैं। दी कम लिखती हैं पर अनमोल लिखती हैंं उनकी हर रचना विशेष है।
ReplyDeleteमेरी हार्दिक शुभकामनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है दी। आपकी साहित्यिक सक्रियता हम सबके लिए प्रेरक है।
हार्दिक आभार , प्रिय श्वेता। तुम्हारे स्नेह भरे शब्द बहुत अनमोल है। 🙏🙏💐💐
Deleteबेहतरीन लेखनी..
ReplyDeleteसाधुवाद..
सादर..
सादर आभार आदरणीय भैया। 🙏🙏🙏
Delete
ReplyDeleteकौन जाने कब कहाँ
हो आखिरी पल इस मिलन का
शब्दों की अनुगूँज ही
होगी अवलंबन विकल मन का
पुकार सुनो
विचलित मन की
ना इस दर्द से अंजाने रहो तुम !!
रेणु दी की रचनाएँ जितनी सरल रहती है,उतनी ही सरल वे भी हैं। उनकी लेखनी में जो भाव है, वे उतनी ही भावुक एवं संवेदनशील भी हैं । न उनके काव्य में कोई मिलावट, बनावट और दिखावट है, न ही उनके हृदय मेंं। वे एक श्रेष्ठ रचनाकार हैं, तो एक आदर्श आर्य नारी भी ब्लॉग जगत में और मेरा पथप्रदर्शक भी हैं ।
उन्हें फिर से सादर नमन।
उनकी यह रचना मैंने कई बार पढ़ी है, मन को शांति मिलती है।
उनकी कृति को आज प्रमुखता देने और अन्य अच्छे लिंक्स के लिये यशोदा जी आपकों धन्यवाद।
सभी को प्रणाम।
शशि भाई आपकी आभारी हूँ। आपने इस मंच पर भी मेरा मान बढ़ाया, ये आपका स्नेह है बस ������
Deleteएक ही लिंक में आज रेणु बहन की शानदार रचनाओं को पुनः पढ़वाने के लिए सादर आभार। रेणु बहन एक असाधारण रचनाकार हैं, एक बहुत सुंदर व्यक्ति की धनी, सब को अपना बना लेने की अद्भुत क्षमता स्नेह से भरा दिल । मां शारदा आप पर सदा कृपा बनाए रखें।
ReplyDeleteबहुत शानदार संकलन।
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Deleteप्रिय कुसुम बहन , आपका निर्मल प्रेम जहाँ छलकता है , मेरा मान बढ़ा जाता है। सस्नेह आभार आपका 🙏🙏🙏💐💐
Deleteआदरणीय दीदी , आज के अंक मेरी मेरे ब्लॉग की रचनाओं को स्थान देने के लिए आभारी हूँ | मुझे आठ बजे श्वेता के मेल से पता चला अन्यथा मैं अब देखती |क्योकि मेरे ब्लॉग से सूचनाएं अवरुद्ध हैं और मेल में नहीं आती | कुछ दिनों से शायद ऐसा है | कल ही मैंने अंदर से देखी वहां कई टिप्पणियाँ जमा थी | आपने मेरे निष्क्रिय से पड़े ब्लॉग पर हलचल मचवा दी , जो बहुत अच्छा लग रहा है | इधर काफी दिनों से कुछ लिखा नहीं जा रहा ये सच है | अधूरी रचनाएँ तक भी पूरी नहीं कर पा रही | पर कृष्ण भगवान् में दुनियादारी कहाँ रमने देती है ? उसी में रत हूँ | दीवाली के बाद से सब नियमित होने की उम्मीद है | मुखरित मौन मंच की हृदय तल से आभारी हूँ | सादर
ReplyDeleteइस अंक में आदरणीया रेणु जी की बेहतरीन रचनाओं को पढ़कर मन मुदित हो गया। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार है पुरुषोत्तम जी। 🙏🙏🙏
Deleteरेणु जी सभी रचनाएं कमाल की होती है उनका लेखन सहज सरल सार्थक और सधा हुआ है जो पाठक को बाँधे रखने की अद्भुत क्षमता रखता है उनकी खूबसूरत रचनाओं को एक साथ पिरोकर शानदार गुलदस्ते की सजावट से मुखरित मौन और भी मुखरित हो उठा...हार्दिक शुभकामनाएं रेणुजी को एवं आपको....।
ReplyDeleteप्रिय सुधा बहन आपके स्नेह के लिए हार्दिक आभार । ये अनमोल है मेरे लिए 🙏🙏🙏🙏
Deleteकब मांगा था तुम्हें
ReplyDeleteकिसी दुआ और प्रा्र्थना में?
तुम कब थे सम्माहित मेरी-
मौन आराधना में।
आ गये अपने से बन क्यों
बंद हृदय के द्वारे।
वाह।बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ।
मन के कोमल भावों को उजागर करती बेहतरीन रचना। सादर।
प्रिय सुजाता जी , हार्दिक आबहर आपके उत्साहवर्धन के लिए 🙏🙏🙏
Deleteवाह बहुत सुंदर 👌
ReplyDeleteआदरणीया रेणु दीदी जी की अद्भुत,सुंदर रचनाओं से सजा अंक बेहद खास है। दीदी जी की हर पंक्ति सीधे मन को छू जाती है। हम दीदी जी की कोई सराहना कर सकें इतनी योग्यता नही हममें बस उन्हें और उनकी कलम को नमन कर सकती हूँ।
सादर नमन।
शुभ संध्या 🙏
प्रिय आंचल , आज आधा दिन मेरे ब्लॉग को खंगालकर , भर भर इतना लिखकर मुझे निहाल कर दिया। तुम्हारे इस निर्मल स्नेह के लिए कोई आभार नहीं , बस मेरा प्यार और शुभकामनायें। 💐💐💐
Deleteसखी रेणु ,तुम्हारी रचनाये अंतरात्मा तक में उतरती चली जाती हैं ,मैं शब्दहीन हो जाती हूँ क्या लिखु तुम्हारे तारीफ में ,एक एक शब्द भावनाओं से लबरेज रहती हैं ,बस सखी माँ सरस्वती से यही प्रार्थना हैं तुम्हारी कलम कभी अवरुद्ध ना हो ,ढेरों शुभकामनाये तुम्हे और यशोदा दी को सादर नमन इतनी प्यारी रचनाओं को साझा करने के लिए
ReplyDeleteप्रिय कामिनी,आज फिर तुमने अपनी स्नेहिल उपस्थिति से मेरा मनोबल बढ़ाया है । हार्दिक आभार सखी । ये स्नेह यूँ ही बना रहे। 🌷🌷💐💐💐
Deleteवाह बेहतरीन,सखी रेणु की भावविभोर कर देने वाली रचनाएं सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रिय अभिलाशा बहन , आपके स्नेह के लिए सदैव आभारी हूँ । हार्दिक आभार सखी ५🙏💐💐💐
ReplyDeleteशानदार अप्रतिम लेखन प्रिय बहन रेणू ।
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