सादर अभिवादन
परसों से सोच रही थी कि सावन के दूसरे दिन
क्या दिया जाए..
याद आई सदा दीदी, चर्चाकारा थी और अभी भी है
पर मोबाइल उन्हें रास नहीं आता...
मेरे निवेदन पर उन्होंने लिंक तो दिए सो
आज का अंक उनके नाम...सीमा सिंघल "सदा"
आभार उनको......
आज का अंक सदा के नाम...
बहुत आहिस्ता से जाना उनके करीब
चुपचाप बैठ जाना वहीं, बिना कुछ कहे
या ले लेना उनके हाथ का काम ताकि
औरतें सपने देखती रह सकें
और उनके सपनों की खुशबू से महक उठे यह संसार.
ई बात भले सोनी-सब टीवी का टैगलाइन है, बाकी बात एकदम सच है. परब-त्यौहार, दुख तकलीफ, सादी-बिआह, छट्ठी-मुँड़ना ई सब सामाजिक अबसर होता है, जब सबलोग एक जगह एकट्ठा होता है. घर-परिबार, हित-नाता, भाई-भतीजा, नैहर-ससुराल... जब सब लोग मिलता है, मिलकर आसीर्बाद देता है, तब जाकर बुझाता है कि अनुस्ठान पूरा हुआ. सायद एही से लोगबाग कह गए हैं कि खुसी बाँटने से बढ़ता है. आप लोग को बुलाते हैं, त आपको भी बुलाया जाता है अऊर एही परम्परा चलता रहता है. कोई छूट न जाए ई बात का बहुत ख्याल रखा जाता है. केतना रिस्तेदारी अइसा होता है जहाँ न्यौता देने के लिये खुद जाना पड़ता है.
बागवानी करने और उसमें भी बागवानी शुरू करने वाले मित्रों को अब इसके लिए तत्पर हो जाना चाहिए। बागवानी के लिए वर्ष के सबसे उपयुक्त मौसम में से एक यानि बरसात और आर्द्र वातावरण बस सामने ही है। इस मौसम में तो बेजान पेड़ पौधों में भी नवजीवन अंकुरित हो उठता है।
महिलाओं के मन जीवन से जुड़े कुछ लेख
तीन तोते
मेरी समझ में यह नहीं आता कि क्यों मनुष्य सभी को पकड़ कर अपने जैसा बनाना चाहते हैं? सभी को स्वतंत्र होकर, अपने दिमाग से जीने/सोचने क्यों नहीं देते? भोजन के बदले पशु, पक्षी तो क्या, अपने बच्चों को भी, अपना गुलाम बनाना चाहते हैं? मुझे तो शक होता है... क्या धरती में, एक भी मनुष्य, मानसिक रूप से स्वतंत्र है?
ढूंढ रहा उपचार आदमी -सतीश सक्सेना
आज पहले दिन काफी दिन से खड़ी साईकिल राइडिंग के लिए उसका हेलमेट , हैंड ग्लव्स , शार्ट , रेफ्लेक्टेड जर्सी , फ़्लैश लाइट, वाटर बोतल , जीपीएस वाच , strava अप्प , स्पोर्ट्स शू , आई कार्ड , कुछ रूपये , गॉगल्स , हेड बैंड , स्माल टॉवल , एक्स्ट्रा टायर , टूल्स , एयर पंप , आदि संभाल कर रात को ही तैयार कर इकठ्ठा रख दिए थे ! सुबह सुबह ५ बजे वाच में से स्पोर्ट्स अप्प स्ट्रावा में साइकिल राइड ऑन कर चल दिया दिल्ली की और डीएनडी से आश्रम , इंडिया गेट , प्रगति मैदान , निजामुद्दीन ब्रिज, मयूर विहार होते हुए लगभग 7 बजे घर वापस पंहुचा तो पूरा शरीर पसीने के साथ आनंदमय था कि आज बहुत दिन बाद साइकिल से की गयी यात्रा 30.69 km को 17 km प्रति घंटा की एवरेज स्पीड से तय करने में 1:52 का समय लगा !
.....
इस सावन में सविनय शिव जी से प्रार्थना है
कि सदा दीदी को मोबाइल से लिंक लगाने की विद्या प्रदान करे
अब कल की कल
कुछ नयी सोचती हूँ
सादर
इस सावन में सविनय शिव जी से प्रार्थना है
कि सदा दीदी को मोबाइल से लिंक लगाने की विद्या प्रदान करे
अब कल की कल
कुछ नयी सोचती हूँ
सादर
बेहतरीन चयन
ReplyDeleteसादर..
☺️ बहुत बेहतरीन ... शुभ सावन 🙏🏼
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिंक।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक।
ReplyDeleteसावन के पावन पर्व पर आपको सपरिवार शुभकमनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति एवं लिंक्स।
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स दिए हैं आपने ,आभार रचना पसंद करने के लिए !
ReplyDeleteअभी एक ही पोस्ट पढ़ी . सलिल वर्मा जी का फोटो गलत लगा है .
ReplyDeleteओके, ठीक करती हूं
Deleteसादर..
मोबाइल से फोटो हट नहीं रहै,
Deleteलैपटॉप से ठीक करूँगी
सादर..
अब पता चला कि संजीव वर्मा
Deleteऔर सलिल वर्मा अलग-अलग चीज है :)
सादर नमन