सादर अभिवादन
जनवरी का अंतिम दिन
कल से फरवरी...
जाते-जाते रुला गई जनवरी
चलिए जब इस दुनिया में आए
हैं तो जहर पीना ही पड़ेगा में
अब रचनाएं देखें...
देहरी-देहरी सिंदुरी
रेहरी-रेहरी अबीरी
उल्लास का उच्चरण है
बसंत आने का लक्षण है ?
आज मेरे घर में फिर रौनक है,
लौट आयी मेरे घर दिवाली,
घर में कितना चहल-पहल है,
जबसे आयी मेरे घर साली।
आज मेरे दोनों हाथों में लड्डू ,
सामने पड़ी मिठाई की थाली ,
बायें खड़ी मुस्कुराती बेगम,
दायें बैठी खिलखिलाती साली।
हर्षित मुखरित सृष्टि के क्षण,
मधुरित धरा का कण-कण,
मधुर रसास्वाद का आलिंगण,
शिशिर अमृत रस भर ले आया।
वो सभी शामे चिराग़,
भटके हुए रहनुमा निकले,
बुझ गए उम्मीद से पहले,
बड़े ही बदगुमां निकले,
....
आज दिव्या आने वाली थी
अब वे कल आएगी
सादर
उम्दा अंक
ReplyDeleteबेहतरीन अंक। होली के रंगों की गहरी झलक लिए, थोड़ा बौराया, थोड़ा मदमाया।
ReplyDeleteशुभ संध्या। ।।।।
मुखरित मौन अपनी मुग्धता बिखेरता हुआ, सभी रचनाएं अपने आप में हैं असाधारण, मुझे जगह देने हेतु असंख्य आभार माननीया यशोदा जी - - नमन सह।
ReplyDeleteमधुर रसास्वादन कराने हेतु हार्दिक आभार । वैसे यहाँ अमृत कलश भी है .. क्यों न उसे ही चखा जाए ?
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