सांध्य अंक में आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
स्नेहिल अभिवादन
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क्यों चीजों का यथावत स्वीकार करना जरूरी है?
व्यवस्थाओं के प्रति असंतोष और प्रश्न सुरूरी है?
कुछ बदलाव के बीज माटी में छिड़ककर तो देखो
उगेंगी नयी परिभाषाएँ धारदार लगेंगी मानो छुरी है
प्रथाओं के मिथक टूटेगें और तय होगा एक दिन
धरती की वसीयत में किसके लिए क्या जरूरी है।
चतुराई चपला-सी चंचल
भविष्य बनाने निकली
तो बाज़ारों की रौनक में बस गई
जीने की चाह
भटकती रही
सन्नाटों भरे खंडहरों में
भविष्य बनाने निकली
तो बाज़ारों की रौनक में बस गई
जीने की चाह
भटकती रही
सन्नाटों भरे खंडहरों में
आओ बैठो, शंकित मन को, धीर जरा दो!
दुविधाओं को, तीर जरा दो,
आस जरा ले लो!
संशय में, पीड़ पले कब तक?
अब सोचे क्या, नव-परिचय की यह बेला?
दो हाथों की, इक गाँठ बना,
इक विश्वास जगा,
ये सांस चले, संग सदियों तक!
सीख सको तो हँसना सीखो,
कीमती होते हँसी के क्षण ,
जो जितना हँसता है,
उतना खुश रहता उसका मन।
पी सको तो गुस्सा पीलो,
क्रोध अक्ल को खाता है।
प्यार और शान्ति से बोल कर देखो ,
काम सुलभ हो जाता है।
तो आओ ...
एक बताशे-सी मुस्कान
इन लबों पर ले आए।
मुंह मीठा खुद करें
दूसरे भी बस ~~~
मीठे-मीठे हो जाएँ।
सुनीता सरन’ और ‘पबिश सिंह’ जैसे छद्म लेखकों की ‘रेप साहित्य’ संबंधी इन किताबों में हिंदू महिलाओं और मुस्लिम पुरुष के संबंधों को टारगेट किया गया है, जो कि अपने आप में प्रोपेगंडा है। मैंने तो ये बस दो उदाहरणभर दिए हैं, लेकिन अमेजन के किंडल एडिशन पर साहित्य के बहाने तमाम तरह की अश्लील और रेप कल्चर को डिफाइन करने वाली सामग्री मौजूद हैं। शर्मनाक बात यह है कि इसमें खास कर मुस्लिम युवकों और हिंदू महिलाओं का प्रमुख रूप से जिक्र किया गया है, ये जिक्र ही दिखाता है कि मात्र महिलाओं के प्रति घृणित सोच ही नहीं, इनके ज़रिए अश्लीलता व सांप्रदायिक घृणा फैलाने को जानबूझकर माध्यम बनाया गया ताकि किंडल पर पढ़ने वालों के दिमाग को यौनिक अपराध के लिए उकसाया जा सके।
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बस
कल के अंक की प्रतीक्षा में
-श्वेता
बस
कल के अंक की प्रतीक्षा में
-श्वेता
बेहतरीन अंक...
ReplyDeleteसचमुच.. शानदार.
आभार..
सादर..
सुन्दर श्रमसाध्य अंक..
ReplyDeleteसाधुवाद..
बढ़िया।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामना, श्वेता दी!
सुन्दर सराहनीय संकलन
ReplyDeleteश्वेता जी, बहुत बहुत आभार आपका मेरी ब्लॉगपोस्ट को अपने इस मंच पर साझा करने के लिए, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर सराहनीय संकलन।
ReplyDeleteमेरी रचना को इस उत्कृष्ट मंच पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार श्वेता जी।
सादर।