सादर श्रद्धा सुमन
ब्लॉगर अरुण "अनन्त" को
महज 34 साल की उम्र में
यूँ जाना मन व्यथित करता है
चाहे हम जानते हों या नहीं
निःशब्द हूँ क्या कहूँ।
उनका एक प्रश्न
तुम मुझे जीवित नहीं रख पाओगी संसार में
उनका एक प्रश्न
तुम मुझे जीवित नहीं रख पाओगी संसार में
दिखता किसको ध्येय यहा ,
ध्येय रहा अज्ञेय
योगी के ही साथ रहे ,
जीवन के सब श्रेय
ना चाह ना किसी की आस की
जब देखा आसपास बड़ी निराशा हुई
मन पर गिरी गाज जब भी
पंख फैला उड़ना चाहा |
क्षितिज पार दूर देखती साँझ ....
क्षितिज पार दूर देखती साँझ ....
ले गोद चले भाव सुकुमार
फिर पथ पीड़ा क्यों हाँक रहा?
एक-एक रोटी को पेट पीटता
करुण कथा में सिमटा संगसार।
इसके समकक्ष एक और अलंकरण बना दिया
जाए और उसका नाम भारत भूषण रख दिया
जाए ! अब भूषण यानी गहने वगैरह को
टिकाऊ बनाने के लिए उसमें कुछ खोट मिलाने
की छूट और मान्यता तो है ही
अंतर्मन का है ..प्रतिबिम्ब दहकता ।
जग संग्राहलय ..यह हँसता गाता ।
दंश देते ..अवसाद विषाद.. जड़ित ।
हैं शान्ति अभिलाषी मन गहन गणित॥
..
मन व्यथित है
विधि के आगे सब नतमस्तक हैं
सादर
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मन व्यथित है
विधि के आगे सब नतमस्तक हैं
सादर
अश्रुपूरित श्रद्धासुमन
ReplyDeleteसादर
Thanks for the post ingredients
ReplyDeleteदुखद समाचार। नमन व श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteनमन व श्रद्धांजलि
ReplyDeleteस्तब्ध करने वाला अत्यंत दुखद समाचार। अश्रुपूरित सादर श्रद्धांजलि🙏🙏🙏
ReplyDeleteअश्रुपूरित श्रद्धासुमन।
ReplyDeleteसृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार दी।