Monday, August 3, 2020

435 ..ये लड़के आपस में कैसी बातें करते हैं ?

अदा से हाथ उठते हैं गुल-ए-राखी जो हिलते हैं  
कलेजे देखने वालों के क्या क्या आह छिलते हैं  
-नज़ीर अकबराबादी
सादर अभिवादन
आज का अंक
एक ही ब्लॉग से
आत्ममंथन
ब्लॉग निगार हैं
आदरणीय डॉ. टी.एस.दराल
मेडिकल डॉक्टर, न्युक्लीअर मेडीसिन फिजिसियन-- ओ आर एस पर शोध में गोल्ड मैडल-- एपीडेमिक ड्रोप्सी पर डायग्नोस्टिक क्राइटेरिया सरकार से स्टेट अवार्ड प्राप्त-- दिल्ली आज तक पर --दिल्ली हंसोड़ दंगल चैम्पियन -- नव कवियों की कुश्ती में प्रथम पुरूस्कार --- अब ब्लॉग के जरिये जन चेतना जाग्रत करने की चेष्टा -- अपना तो उसूल है, हंसते रहो, हंसाते रहो. --- जो लोग हंसते हैं, वो अपना तनाव हटाते हैं. --- जो लोग हंसाते हैं, वो दूसरों के तनाव भगाते हैं. -- 
बस इसी चेष्टा में लीन...
सीधे व सरल डॉ. दराल आपका स्वागत है
पढ़िए उनकी रचनाएँ..

एक मित्र हमारे ,
बन्दे सबसे न्यारे।

मूंछें रखते भारी   ,
सदा सजी संवारी ।

कोई छेड़ दे मूंछों की बात ,
फरमाते लगा कर मूछों पर तांव।


आप यहाँ इस कवि सम्मेलन में क्या कर रहे हैं ?
जी हम यहाँ कविता सुनाने आये हैं।
क्या बुलाने पर आये हैं ?
जी नहीं, हम बिन बुलाये स्वयं ही चले आये हैं।
क्या आपको पता है, बिन बुलाये कविता सुनाने पर
आपको पैसे नहीं मिलेंगें ?
जी, पता है।
जब आपको पता था कि बिन बुलाये
कविता सुनाने पर आपको पैसे नहीं मिलेंगे,
तो फिर आप यहाँ क्यों आये ?
जी, राष्ट्र हित में आये।



फेसबुक पर हम इतना झूल गए,
के कविता ही लिखना भूल गए।

जिसे देनी थी जीवन भर छाया ,
उस पेड़ को सींचना भूल गए।

मतलब में अपने कुछ ऐसे डूबे,
देश पर मर मिटना भूल गए ।

भूले बिसरे

एक हरियाणवी ताऊ का छोरा, जब टॉप कर गया
रिजल्ट देख कर ताऊ का दिल,  गर्व से भर गया .

उसे अपने मेडिकल कॉलेज के दिन याद आ गए
जो दिल के सोए बरसों पुराने अरमान जगा गए .

बोला , अब तो काली कम्बली वाले को भेंट चढाऊंगा ,
और सोच लिया , छोरे को लेडी हार्डिंग में ही पढ़ाऊंगा .



पुरुष प्रधान समाज में 
पुरुषों की हेरा फेरी -- 
बार बार, लगातार !
कॉलिज के दिनों में एक जोक बहुत सुना जाता था -- 
दो सहेलियां आपस में बातें कर रही थी . 
एक ने कहा -- ये लड़के आपस में कैसी बातें करते  हैं ?  
दूसरी बोली -- जैसी हम करते हैं . 
आज तीस साल बाद वे सब लड़के लड़कियां पुरुष और महिलाएं बन चुके होंगे . लेकिन अब ऐसा महसूस होता है कि शायद पुरुष महिलाओं से कहीं ज्यादा बदमाशी करते हैं . फिर जाने महिलाएं क्यों बराबरी का दम भरती हैं .
....
एक निवेदन..
ब्लॉग मे जाकर सारे पढ़ डालिए
सादर

2 comments:

  1. आपने हमारे ब्लॉग को इतना महत्त्व दिया , इसके लिए आपका दिल से आभार।

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    Replies
    1. आप आए..
      अभिनन्दन आपका..
      आभार..
      सादर..

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