अदा से हाथ उठते हैं गुल-ए-राखी जो हिलते हैं
कलेजे देखने वालों के क्या क्या आह छिलते हैं
-नज़ीर अकबराबादी
सादर अभिवादन
आज का अंक
एक ही ब्लॉग से
आत्ममंथन
ब्लॉग निगार हैं
सादर अभिवादन
आज का अंक
एक ही ब्लॉग से
आत्ममंथन
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आदरणीय डॉ. टी.एस.दराल
मेडिकल डॉक्टर, न्युक्लीअर मेडीसिन फिजिसियन-- ओ आर एस पर शोध में गोल्ड मैडल-- एपीडेमिक ड्रोप्सी पर डायग्नोस्टिक क्राइटेरिया सरकार से स्टेट अवार्ड प्राप्त-- दिल्ली आज तक पर --दिल्ली हंसोड़ दंगल चैम्पियन -- नव कवियों की कुश्ती में प्रथम पुरूस्कार --- अब ब्लॉग के जरिये जन चेतना जाग्रत करने की चेष्टा -- अपना तो उसूल है, हंसते रहो, हंसाते रहो. --- जो लोग हंसते हैं, वो अपना तनाव हटाते हैं. --- जो लोग हंसाते हैं, वो दूसरों के तनाव भगाते हैं. --
बस इसी चेष्टा में लीन...
सीधे व सरल डॉ. दराल आपका स्वागत है
पढ़िए उनकी रचनाएँ..
सीधे व सरल डॉ. दराल आपका स्वागत है
पढ़िए उनकी रचनाएँ..
एक मित्र हमारे ,
बन्दे सबसे न्यारे।
मूंछें रखते भारी ,
सदा सजी संवारी ।
कोई छेड़ दे मूंछों की बात ,
फरमाते लगा कर मूछों पर तांव।
आप यहाँ इस कवि सम्मेलन में क्या कर रहे हैं ?
जी हम यहाँ कविता सुनाने आये हैं।
क्या बुलाने पर आये हैं ?
जी नहीं, हम बिन बुलाये स्वयं ही चले आये हैं।
क्या आपको पता है, बिन बुलाये कविता सुनाने पर
आपको पैसे नहीं मिलेंगें ?
जी, पता है।
जब आपको पता था कि बिन बुलाये
कविता सुनाने पर आपको पैसे नहीं मिलेंगे,
तो फिर आप यहाँ क्यों आये ?
जी, राष्ट्र हित में आये।
फेसबुक पर हम इतना झूल गए,
के कविता ही लिखना भूल गए।
जिसे देनी थी जीवन भर छाया ,
उस पेड़ को सींचना भूल गए।
मतलब में अपने कुछ ऐसे डूबे,
देश पर मर मिटना भूल गए ।
भूले बिसरे
एक हरियाणवी ताऊ का छोरा, जब टॉप कर गया
रिजल्ट देख कर ताऊ का दिल, गर्व से भर गया .
उसे अपने मेडिकल कॉलेज के दिन याद आ गए
जो दिल के सोए बरसों पुराने अरमान जगा गए .
बोला , अब तो काली कम्बली वाले को भेंट चढाऊंगा ,
और सोच लिया , छोरे को लेडी हार्डिंग में ही पढ़ाऊंगा .
पुरुष प्रधान समाज में
पुरुषों की हेरा फेरी --
बार बार, लगातार !
कॉलिज के दिनों में एक जोक बहुत सुना जाता था --
दो सहेलियां आपस में बातें कर रही थी .
एक ने कहा -- ये लड़के आपस में कैसी बातें करते हैं ?
दूसरी बोली -- जैसी हम करते हैं .
आज तीस साल बाद वे सब लड़के लड़कियां पुरुष और महिलाएं बन चुके होंगे . लेकिन अब ऐसा महसूस होता है कि शायद पुरुष महिलाओं से कहीं ज्यादा बदमाशी करते हैं . फिर जाने महिलाएं क्यों बराबरी का दम भरती हैं .
....
एक निवेदन..
ब्लॉग मे जाकर सारे पढ़ डालिए
सादर
ब्लॉग मे जाकर सारे पढ़ डालिए
सादर
आपने हमारे ब्लॉग को इतना महत्त्व दिया , इसके लिए आपका दिल से आभार।
ReplyDeleteआप आए..
Deleteअभिनन्दन आपका..
आभार..
सादर..