सादर अभिवादन स्वीकार करें..
छःमाही परीक्षा आज सम्पन्न हो रही है
परिणाम आज के अखबार में प्रकाशित
हो गया है..आप देख लिए होंगे..
आज की मिली-जुली रचनाएँ...
प्रथम प्रवेश
चीन को ललकार ....
आँख दिखाना छोड़ो हमको, नहीं किसी से डरते हैं ।
हम भारत के वीर सिपाही, कफन बाँध कर लड़ते हैं ।।
एक कदम तुम आगे आओ, पैर काट कर रख देंगे।
वतन बचाने के खातिर हम,इतिहास नया लिख देंगे।।
जीत ...
धरा धारा माँ पाषाण दिखती है।
सबक जीवन का सिखलाती है।
बचपन के ज़माने को जाने ना दें,
उसकी दुआ ही दंश से लड़ती है।
पानी सी होती हैं स्त्रियां ...
पानी सी होती हैं स्त्रियाँ
हर खाली स्थान बड़ी सरलता से
अपने वजूद से भर देती हैं
बगैर किसी आडंबर के
बगैर किसी अतिरंजना के..
आश्चर्य ये
कि जिस रंग का अभाव हो
उसी रंग में रंग जाती हैं ..
ये मन शरद का फूल है ! ....
कायी-कायी सारी सवारली, मन भीत भी निखारली
अब बैठे - बैठे ये सोचूँ मैं, रंग गेरुया या हरा करूँ।
मुझे 'श्याम' से ही आस है, मैं उससे ही तो 'ज़ोया' हूँ
उसे मोरपँख से प्रीत है, तो मैं खुद को ही हरा करूं।
दशमूलक्वाथ : समस्याएँ अनेक उपाय सिर्फ एक .....
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम औषधि के रुप में प्रचलित दस विभिन्न जड़ी-बूटियों के मेल से निर्मित दशमूलक्वाथ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के साथ ही अनेकों छोटी-बड़ी समस्याओं के निवारण में निर्विवाद रुप से उपयोगी होता है । दशमूलक्वाथ दशमूल में मिश्रीत औषधियां *बेल**, श्योनाक, गंभारी, पाढ़ल, अरलू, सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, **छोटी कटेरी *और*गिलोय* के मिश्रण से बनती हैं और प्रायः इसका उपयोग पसिद्ध आयुर्वेदिक कम्पनियों द्वारा निर्मित काढे (क्वाथ) के रुप में अधिक किया जाता है ।
और अंत में मैं स्वयं
एहसास है....एक मोहब्बत का
एहसास है....एक
मोहब्बत का ,
महसूस किया जा सकता है
जिसे रूह से....
यह उस ईश्वर
की तरह है,.... जो
कण-कण में
विद्यमान है
...
बस
सादर
छःमाही परीक्षा आज सम्पन्न हो रही है
परिणाम आज के अखबार में प्रकाशित
हो गया है..आप देख लिए होंगे..
आज की मिली-जुली रचनाएँ...
प्रथम प्रवेश
चीन को ललकार ....
आँख दिखाना छोड़ो हमको, नहीं किसी से डरते हैं ।
हम भारत के वीर सिपाही, कफन बाँध कर लड़ते हैं ।।
एक कदम तुम आगे आओ, पैर काट कर रख देंगे।
वतन बचाने के खातिर हम,इतिहास नया लिख देंगे।।
जीत ...
धरा धारा माँ पाषाण दिखती है।
सबक जीवन का सिखलाती है।
बचपन के ज़माने को जाने ना दें,
उसकी दुआ ही दंश से लड़ती है।
पानी सी होती हैं स्त्रियां ...
पानी सी होती हैं स्त्रियाँ
हर खाली स्थान बड़ी सरलता से
अपने वजूद से भर देती हैं
बगैर किसी आडंबर के
बगैर किसी अतिरंजना के..
आश्चर्य ये
कि जिस रंग का अभाव हो
उसी रंग में रंग जाती हैं ..
ये मन शरद का फूल है ! ....
कायी-कायी सारी सवारली, मन भीत भी निखारली
अब बैठे - बैठे ये सोचूँ मैं, रंग गेरुया या हरा करूँ।
मुझे 'श्याम' से ही आस है, मैं उससे ही तो 'ज़ोया' हूँ
उसे मोरपँख से प्रीत है, तो मैं खुद को ही हरा करूं।
दशमूलक्वाथ : समस्याएँ अनेक उपाय सिर्फ एक .....
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम औषधि के रुप में प्रचलित दस विभिन्न जड़ी-बूटियों के मेल से निर्मित दशमूलक्वाथ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के साथ ही अनेकों छोटी-बड़ी समस्याओं के निवारण में निर्विवाद रुप से उपयोगी होता है । दशमूलक्वाथ दशमूल में मिश्रीत औषधियां *बेल**, श्योनाक, गंभारी, पाढ़ल, अरलू, सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, **छोटी कटेरी *और*गिलोय* के मिश्रण से बनती हैं और प्रायः इसका उपयोग पसिद्ध आयुर्वेदिक कम्पनियों द्वारा निर्मित काढे (क्वाथ) के रुप में अधिक किया जाता है ।
और अंत में मैं स्वयं
एहसास है....एक मोहब्बत का
एहसास है....एक
मोहब्बत का ,
महसूस किया जा सकता है
जिसे रूह से....
यह उस ईश्वर
की तरह है,.... जो
कण-कण में
विद्यमान है
...
बस
सादर
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteसराहनीय प्रस्तुतीकरण
साधुवाद
आँख दिखाना छोड़ो हमको, नहीं किसी से डरते हैं ।
ReplyDeleteहम भारत के वीर सिपाही, कफन बाँध कर लड़ते हैं ।।
जैसी पंक्तियों वाली रचना से सुसज्जित सुंदर प्रस्तुति दिव्या जी। ब्लॉग पर चर्चाकर के रूपमें आपका स्वागत है। बहुत बहुत शुभकामनायें आभार। 🌹🌹🙏🌹🌹
दिव्या अग्रवाल ji,
ReplyDeleteचर्चाकार के रूप में आपका कार्य बहुत अच्छा लगा। चयनित रचनाये बहुत प्रभावी हैं और प्रस्तुति में हर रस की रचना हे। सराहनीय प्रस्तुतीकरण
मेरी रचना को अपनी सूचि में स्थान देने के लिए आभार।
सभी रचनाकारों को शुभकामानएं
ब्लॉग पर चर्चाकर के रूपमें आपका स्वागत है।
बहुत बहुत शुभकामनाओं के सहित सदर आभार।
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह!खूबसूरत प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमेरी रचना चीन को ललकार को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteवंदे मातरम
'गुड़' को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
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