Wednesday, May 13, 2020

353..संकट में हैं ग्वाल बाल सब, हर लो विपदा सारी

बुधवार,
संयम बरतें
गर..लॉक डाऊन न भी बढ़ा
..तो हमको रहना ही चाहिए लॉक होकर
अपने ही घर में क्यूँकि चलने लगी है रेलें
जो कि वाईरस बताकर नहीं आता..
इधर अमेरिका की हलचल बढ़ी है
चीनी इलाके में और चीन द्वारा भारत का द्वार
पर दस्तक देने की कोशिश ...
ये सब सुनी -सुनाई बाते हैं
न दीजिए ध्यान बकबक पर
पर दीजिए ज़रूर ध्यान आज की रचनाओं पर..



अच्छी नही .........ज्योति सिंह

चुप्पी इतनी भी अच्छी नही 
कि हम बोलना भूल जायें , 
नारजगी इतनी भी अच्छी 
नही कि हम मनाना भूल जाये ,,


दोला ...कुसुम कोठारी' प्रज्ञा'

बादल कैसे काले काले,
छाई घटा घनघोर ।
चमक-चमक विकराल दामिनी
छुए क्षितिजी के छोर ।
मन के नभ पर महा प्रभंजन,
कितने बदले चोले ।।


चुप नहीं रह सकता आदमी ...संध्या गुप्ता

चुप नहीं रह सकता आदमी
जब तक हैं शब्द
आदमी बोलेंगे

और आदमी भले ही छोड़ दे लेकिन
शब्द आदमी का साथ कभी छोड़ेंगे नहीं


हक़ ...दीपिका रानी

नहीं देना है मुझे अब
मुस्कुराने और गुनगुनाने का हिसाब
उदासियों और खामोशियों का जवाब
ज़िन्दगी और मेरे दरमियां
अब कोई बिचौलिया न हो...


छन्न पकैया छन्न पकैया ...साधना वैद

छन्न पकैया छन्न पकैया
भूखे श्रमिक बिचारे  
काम काज सब बंद हो गया 
फिरते दर दर मारे ! 

छन्न पकैया छन्न पकैया 
आ जाओ गिरिधारी 
संकट में हैं ग्वाल बाल सब 
हर लो विपदा सारी !
...
आज बस
शायद कल फिर
सादर




4 comments:

  1. बेहतरीन रचनाओं का संकलन ,सभी रचनाकारों को बधाई ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद ,आपका हार्दिक आभार

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  2. सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का अंक ! मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !

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  3. सुंदर प्रस्तुति चेतावनी देती सार्थक भूमिका।
    सुंदर लिंक चयन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।

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  4. सुंदर प्रस्तुति

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