इरफ़ान आखिर नहीं रहा..
बहुत ही छोटा था वो
पर,,,
था ग़ज़ब का कलाकार
अब यादों में शामिल हो गया
वो पांच फिल्में, जिनमें इरफान ने दिखा दिया- आखिर एक्टिंग क्या चीज होती है....
पान सिंह तोमर, लंच बॉक्स, हिंदी मीडियम, लाइफ इन मेट्रो और हासिल
मेरी ओर से भावभीनी श्रद्धांञ्जली
रचना कैसी पढ़वाएँ और क्या पढ़वाएँ
किंकर्तव्यविमूढ़ हैं हम...
फिर भी....
इरफ़ान .....शरद कोकास
तुमने तो मुझे डरा ही दिया था
जब तुमने कहा था
कि तुम्हें एक भयानक बीमारी है
जैसे कि रात में सांप का नाम नहीं लेते
तुम भी उस बीमारी का नाम
नहीं लेना चाहते थे
शायद तुम किसी को
भयभीत नहीं करना चाहते थे
बेटी की माँ ...अनीता सैनी
निधि ज्योति से मिलने वार्ड की तरफ़ क़दम बढ़ाती है परंतु न जाने क्यों उसके क़दम नहीं बढ़ रहे थे वह एक कश्मकश में उलझी थी वह और पता ही नहीं चला कब ज्योति के बेड के पास पहुँच गयी।
"माँ जी ख़ुश हैं न?"
ज्योति ने बेचैनी से पूछा।
"हाँ बहुत ख़ुश हैं।"
"क्यों "
निधि ने बेपरवाही से कहा।
"उन्होंने पूजा रखी थी,मन्नतों में मांगा करती थीं घर का वारिस।"
अंतस में कुछ बिखरने की आवाज़ से ज्योति सहम-सी गयी।
बेटी के लिए अब आँचल छोटा लगने लगा...
मेरी ख़ातिर गाओ ना पापा ... सुबोध सिन्हा
बेटी का श्राप...
" है ना पापा ? बोलो ना पापा। गाओ ना पापा .. प्लीज .. एक बार .. बस एक बार .. अपनी पर कटी परी के लिए - ' मेरे घर आई एक नन्हीं परी, एक नन्हीं परी .. एक नन्हीं परी ...' "
** आप इसे पढ़िए या देखिये या दोनों ही कीजिए। पर बतलाना मत भूलियेगा कि इस वीडियो ने आपकी आँखों को नम किया या नहीं ..
....
अब नहीं लिखा जा रहा
कल देखेंगे शायद हम
वह तो नहीं देख पाया
सादर