सादर नमस्कार..
आज हम आ गए..
हमारी सोच कुछ अलग नहीं है..
पर सोच से जरूर ज़रा अलग ही है..
सर्व प्रथम शुभकामनाएँ पुरुषोत्तम जी को
उनकी 1101 वीं रचना के लिए...पढ़िए
स्पंदन (1101 वीं रचना)
अन्तर्मन हुई थी, हलकी सी चुभन!
कटते भी कैसे, विछोह के हजार क्षण?
हर क्षण, मन की पर्वतों का स्खलन!
सोच-कर ही, कंपित सा था मन!
घर ढूंढ़ता है कोई
उफ ये दौड़ , ये भागमभाग,
चुपचाप सा बहता है कोई।
बदहवास ज़िंदगी का सबब है क्या,
अपना ही पता यहां पूछता है कोई।
तुम्हारी आँखें ..
तुम्हारे चेहरे की
मासूम परछाई
मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण
टपकती है सूखे मन पर
बूँद-बूँद समाती
एकटुक निहारती
तुम्हारी आँखें
"क्षणिकाएं" ....
नेह के धागों से
बुनी थी वह कमीज
वक्त के साथ...
नेह के तन्तु
सूखते गए और….
कमीज की सींवन दुर्बल
खोखला हैं लिव इन रिलेशनशिप का रिश्ता
जब बालिग लड़का और लड़की अपनी मर्ज़ी से विवाह के बंधन में बंधे बिना घर की एक ही छत के नीचे पति-पत्नी की तरह रहते हैं तो उस संबंध को लिव इन रिलेशन कहते हैं। लिव इन भावनात्मक बंधन के आधार पर साथ रहने का व्यक्तिगत एवं आर्थिक प्रबंध मात्र हैं। इस में हमेशा के लिए साथ देने का कोई वादा नहीं होता।
अपनी 'पोनी-टेल' में ...
बस .. एक कॉल या मिसकॉल भर
या फिर व्हाट्सएप्प ही
कर देना ना .. प्लीज !! ..
आने के कुछ घंटे पहले
ताकि सज-सवंर लुंगा
'फुसफुसा' लुंगा थोड़े डिओ भी
अपने झुर्रियाए बदन पर
और तुम भी तो आओगी ही ना ..
हर बार की तरह मेरी पसंद की
अपनी 'पोनी-टेल' में ... .. आँ ..!?
....
आज कसर निकल गई
बस भी कर...
दिग्विजय
आज हम आ गए..
हमारी सोच कुछ अलग नहीं है..
पर सोच से जरूर ज़रा अलग ही है..
सर्व प्रथम शुभकामनाएँ पुरुषोत्तम जी को
उनकी 1101 वीं रचना के लिए...पढ़िए
स्पंदन (1101 वीं रचना)
अन्तर्मन हुई थी, हलकी सी चुभन!
कटते भी कैसे, विछोह के हजार क्षण?
हर क्षण, मन की पर्वतों का स्खलन!
सोच-कर ही, कंपित सा था मन!
घर ढूंढ़ता है कोई
उफ ये दौड़ , ये भागमभाग,
चुपचाप सा बहता है कोई।
बदहवास ज़िंदगी का सबब है क्या,
अपना ही पता यहां पूछता है कोई।
तुम्हारी आँखें ..
तुम्हारे चेहरे की
मासूम परछाई
मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण
टपकती है सूखे मन पर
बूँद-बूँद समाती
एकटुक निहारती
तुम्हारी आँखें
"क्षणिकाएं" ....
नेह के धागों से
बुनी थी वह कमीज
वक्त के साथ...
नेह के तन्तु
सूखते गए और….
कमीज की सींवन दुर्बल
खोखला हैं लिव इन रिलेशनशिप का रिश्ता
जब बालिग लड़का और लड़की अपनी मर्ज़ी से विवाह के बंधन में बंधे बिना घर की एक ही छत के नीचे पति-पत्नी की तरह रहते हैं तो उस संबंध को लिव इन रिलेशन कहते हैं। लिव इन भावनात्मक बंधन के आधार पर साथ रहने का व्यक्तिगत एवं आर्थिक प्रबंध मात्र हैं। इस में हमेशा के लिए साथ देने का कोई वादा नहीं होता।
अपनी 'पोनी-टेल' में ...
बस .. एक कॉल या मिसकॉल भर
या फिर व्हाट्सएप्प ही
कर देना ना .. प्लीज !! ..
आने के कुछ घंटे पहले
ताकि सज-सवंर लुंगा
'फुसफुसा' लुंगा थोड़े डिओ भी
अपने झुर्रियाए बदन पर
और तुम भी तो आओगी ही ना ..
हर बार की तरह मेरी पसंद की
अपनी 'पोनी-टेल' में ... .. आँ ..!?
....
आज कसर निकल गई
बस भी कर...
दिग्विजय
व्वाहहहह
ReplyDeleteबेहतरीन
सादर
बहुत बढ़िया लिंक्स। मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिग्विजय भाई।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचनाएँ। अच्छा संकलन।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद । इस मंच का शुक्रिया गुजार हूँ कि मेरी 1101 वीं रचना को यहाँ प्रमुखता से स्थान दिया गया ।
ReplyDeleteसर्वदा प्रेरित करती रही है यह मंच। सादर आभार।
बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे सृजन को प्रस्तुति में सम्मिलित करने हेतु आपका हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक (1101 भी) रचनाओं के साथ अनुपम संकलन के लिए नमन और इन सब के साथ इस मंच पर मेरी रचना साझा के लिए आभार आपका ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं।
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