सादर अभिवादन
आज फिर हमें झेलिए
देवी जी कृष्ण जन्म हेतु
माल-मत्ता बनाने में व्यस्त है
श्री कृष्ण तो खाने से रहे
खाएँगे तो हम और आप...
ले चलते हैं आज की रचनाओं की ओर...
आज फिर हमें झेलिए
देवी जी कृष्ण जन्म हेतु
माल-मत्ता बनाने में व्यस्त है
श्री कृष्ण तो खाने से रहे
खाएँगे तो हम और आप...
ले चलते हैं आज की रचनाओं की ओर...
'कान्हा' से 'कान्हा'
पाया है मैंने
हर पल 'वो' मेरे
संग होता है
मैंने मेजबान से कहा, ‘आज तुम्हारा कुत्ता बहुत शांत है।’मेजबान ने बताया, ‘आज यह बुरी हालत में है। हुआ यह कि नौकर की गफलत के कारण यह फाटक से बाहर निकल गया।
वे दोनों कुत्ते तो घात में थे ही। दोनों ने इसे घेर लिया।
इसे रगेदा। दोनों इस पर चढ़ बैठे। इसे काटा। हालत खराब हो गई। नौकर इसे बचाकर लाया। तभी से यह सुस्त पड़ा है और घाव सहला रहा है। डॉक्टर श्रीवास्तव से कल इसे इंजेक्शन दिलाउँगा।’
मैंने कुत्ते की तरफ देखा। दीन भाव से पड़ा था।
मैंने अंदाज लगाया। हुआ यों होगा –
यह अकड़ से फाटक के बाहर निकला होगा। उन कुत्तों पर भौंका होगा। उन कुत्तों ने कहा होगा – ‘अबे, अपना वर्ग नहीं पहचानता। ढोंग रचता है। ये पट्टा और जंजीर लगाए है। मुफ्त का खाता है।
वर्जनाओं से बिखरते जा रहे
दर्पणी सपने दरकते जा रहे
जो अप्रस्तुत है उसी की चाह में
रिक्त सारे पंख झड़ते जा रहे
काश !!! मिल पाते
साफिया और
सिद्धार्थ भी
इन ख़ुश्बू और
सुगन्ध की तरह
धर्म-मज़हब से परे
गाहे-बगाहे...
दोनों में लड़ाई हुई। राजा ने ज़रा-सी देर में देव को
पछाड़ दिया। तब देव बोला, “हे राजन्! तुमने मुझे हरा दिया।
मैं तुम्हें जीवन-दान देता हूँ।”
इसके बाद देव ने कहा, “राजन्, एक नगर और एक नक्षत्र में
तुम तीन आदमी पैदा हुए थे। तुमने राजा के घर में जन्म लिया,
दूसरे ने तेली के और तीसरे ने कुम्हार के। तुम यहाँ का राज करते हो, तेली पाताल का राज करता था। कुम्हार ने योग साधकर तेली को मारकर शमशान में पिशाच बना सिरस के पेड़ से लटका दिया है। अब वह तुम्हें मारने की फिराक में है। उससे सावधान रहना।”
आज का कोटा पूरा
चलें अब काम की ओर
दिग्विजय
चलें अब काम की ओर
दिग्विजय
व्वाहहहह..
ReplyDeleteबेहतरीन...
सादर..
काश हम पड़ोसी होते.. छोटी बहना का बनाया पकवान मिल जाता
ReplyDeleteसुंदर संकलन
साधुवाद
जी नमस्ते।वााााह बहुत सुंदर संकलन।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह लाजवाब।
ReplyDeleteबेताल पच्चीसी..arrey waah...bachpan ki yaad taazi ho gyii...mere pasandida naatkon me se thaa ye...dhanywaad
ReplyDeleteamazing links...
कष्ट की काई जमीं हर शब्द पर
अर्थ के प्रतिबिंब मिटते जा रहे
varshaa ji ki is rchnaa ke liye unhe bdhaayi..behad asardaar
badhaayi aapko...aur shubhkaamyen bhi
mere "Kanha" ko sraahaane ke liye tah e dil se shukriyaa aapka..
yuhin utsaah bdhaate rahen
aabhaar
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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