सादर अभिवादन...
आज हम नहीं वे आने वाले थे
आग्रह भूल गए...
किसी कारण से वे शहर से बाहर कर दिए गए
आज हम नहीं वे आने वाले थे
आग्रह भूल गए...
किसी कारण से वे शहर से बाहर कर दिए गए
आज हमारी पसंद की सद्य प्रकाशित रचनाएँ...
गोपाल दास नीरज का कारवां
आदमी को आदमी बनाने के लिए
ज़िंदगी में प्यार की कहानी चाहिए
और कहने के लिए कहानी प्यार की
स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए
सुबह तक महती रही,मुझमेँ रात की रानी की तरह,
मुझपे गुज़रना था जिसे जवानी की तरह..
बहुत खुश थे जिससे पीछा छुड़ा के अमीर,
याद रहा वो शख्श दादी की कहानी की तरह,
न हृदय को पड़ी, मैं की मार,
न अंहकार से हुई तक़रार,
मिली चंद साँसें उसी को जीवन वार,
ज़िंदगी अल्फ़ाज़ में सिमटी किताब बन गयी |
तुम दुखों के सागर में
या फिर क्षणिक आनंद में उलझे हो
वहाँ सर्वत्र सुख ही सुख है
उस भव्यता से
तुम अचंभित रह जाओगे,
तेरी याद में डूबा हूँ पर
ग़म के प्याले नही भरूँगा
सुन लूँगा इस जग के ताने
नाम तेरा मैं कभी ना लूँगा
बढ़ जाऊंगा तन्हा ही अब
राह तुम्हारी नहीं तकूँगा
यादों की जलती चिंगारी
सिरहाने अब नही रखूँगा
-*-*-*-*-
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
शत् शत् नमन कवि नीरज जी को
आदेश दें...
यशोदा
आदेश दें...
यशोदा
बहुत खूबसूरत अंक।
ReplyDeleteखूबसूरत और बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब..
ReplyDeleteक्षमा प्रार्थी..
सादर..
अति सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशत् शत् नमन कवि नीरज जी को
वाह,
ReplyDeleteशानदार लिंक्स,5 लिको का पिटारा बहुत आनंदमय हैं,
तेरी याद में डूबा हूँ पर
ग़म के प्याले नही भरूँगा
सुन लूँगा इस जग के ताने
नाम तेरा मैं कभी ना लूँगा
बहुत खूब।
आभार
धन्यवाद यशोदा जी , मेरी ब्लॉगपोस्ट शामिल करने के लिए आपका आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर। धन्यवाद।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसारे शानदार
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