tag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post3686893944012563488..comments2023-11-03T13:54:01.765+05:30Comments on सांध्य दैनिक मुखरित मौन: 246...अरे पागल! मन तू क्यों घबराएyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-83053879640030787552020-01-25T12:58:34.019+05:302020-01-25T12:58:34.019+05:30सुंदर संगम बहुत मनभावन लिंंकों से सजा सुंदर अंक ।सुंदर संगम बहुत मनभावन लिंंकों से सजा सुंदर अंक ।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-19688594976225103762020-01-24T19:03:42.002+05:302020-01-24T19:03:42.002+05:30लाजवाब प्रस्तुति।लाजवाब प्रस्तुति।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-5597907352109992072020-01-24T18:01:08.207+05:302020-01-24T18:01:08.207+05:30वाह 👌👌 बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचना...वाह 👌👌 बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाईAbhilashahttps://www.blogger.com/profile/06192407072045235698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-49276666407454172252020-01-24T18:00:11.301+05:302020-01-24T18:00:11.301+05:30बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर उर्मिला सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02492149402964498738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-5274663281130987872020-01-24T17:56:49.783+05:302020-01-24T17:56:49.783+05:30.. बहुत-बहुत धन्यवाद दी मेरी रचना को शामिल करने के..... बहुत-बहुत धन्यवाद दी मेरी रचना को शामिल करने के लिए मन तो चंचल है वह भला कब किसी से पगा है सारी रचनाएं बहुत अच्छी हैAnita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-75167893682857105982020-01-24T17:46:33.863+05:302020-01-24T17:46:33.863+05:30व्वाहहहहभभ..
शुभकामनाएँ.....
सादर..व्वाहहहहभभ..<br />शुभकामनाएँ.....<br />सादर..Digvijay Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/10911284389886524103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2824769644724815317.post-74574277526744531892020-01-24T17:41:48.295+05:302020-01-24T17:41:48.295+05:30मन ऐसा होता ही है दी..
जरा- सा में वह घबराने लगता...मन ऐसा होता ही है दी..<br />जरा- सा में वह घबराने लगता है ,<br />और जरा में ही वह प्रफुल्लित हो जाता है।<br /> मन को कितना भी कठोर करिए,<br /> लेकिन वह भावनाओं के दलदल में फंस ही जाता है और विवेक उसका चेतावनी देते रह जाता है। <br /> ईश्वर ने मानव को मन इसलिए दे रखा है कि वह संपूर्ण विश्व में मानवता का संदेश प्रसारित करें, शांतिदूत बनकर " जियो और जीने दो" के सिद्धांत का पोषण करें परंतु आदिकाल से ऐसा हो नहीं सका फिर भी लक्ष्य यही है हमारा मन निर्मल , कोमल और निश्छल हो।<br />मेरे लेख को मुखरित मौन के पटल पर शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार यशोदा दी। <br />व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com