सादर अभिवादन
मास जनवरी की अंतिम प्रस्तुति
मनहूस दिन मास जनवरी का
सन 1599 में
मास जनवरी की अंतिम प्रस्तुति
मनहूस दिन मास जनवरी का
सन 1599 में
भारत में ब्रिटेन की पहली
ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई।
खैर जो होनी थी वो हो गई
आगे तो सम्हल जाओ
खैर जो होनी थी वो हो गई
आगे तो सम्हल जाओ
चलिए कुछ रचनाएँ देखें ...
क्या साथ लाये, क्या तोड़ आये
रस्ते में हम क्या-क्या छोड़ आये
मंजिल पे जा के याद आता है
आदमी मुसाफिर है...
होता नहीं है छूना आसान सरहदें
कर देतीं हैं जिस्म लहूलुहान सरहदें
सूनी आँखें हैं और खुश्क हैं होंठ
तपते इंसानों सी रेगिस्तान सरहदें
बिट्टू!!!
का री नादान गुड़ियाँ,
चल पास आ मेरे
तेरी धमा चौकड़ी थमती नहीं
तेरे बालों में आ तेल लगा दूँ
कसकर एक जुड़ा बना दूँ
बींधते है जो नज़र तुझे
उन ऩजरों से बचाकर
माथे में एक काला टीका लगा दूँ
अब
न विचार में गांधी हैं
न हृदय में राम ही
'गांधी' की जगह 'गोली मारो' हो गया
और 'राम' की जगह 'राज करो'।
इक तुम्हारी निगाह के अलावा
हमारा ठिकाना कोई नहीं,
कल की कल सोचेंगे
आज तुमसे हैं
मुख़ातिब
हम बहरहाल ....
......
आज बस इतना ही
सादर
आज बस इतना ही
सादर