Friday, November 8, 2019

169..लोग आलोचक और समीक्षक बनने की होड़ पर लगे हैं

सादर अभिवादन..

आज-कल ये देखा जा रहा है
लोग आलोचक और समीक्षक
बनने की होड़ पर लगे हैं

लेखक लिखता हैं..वह
अपने मन में उपजे भावों को
अपनी कलम की सियाही 
कोरे कागजों पर और..उसे
संतुष्टि होती है..
खैर लिखता कोई है..और
पढ़ता कोई और है....
हमारा
 काम है कि उन रचनाओं को
आपके समक्ष रक्खें ... और
उसकी प्रतिक्रिया 
उन रचनाकारों तक पहुंचाने का काम
हमारे जागरूक पाठकों का है

आज की रचनाओँ की ओर चलते हैं...

एक सियार मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था।  जो गीदड़ है ना  देश को  नोच कर खा रहे है, प्यारी जनता " क्या आप देश को बचाएंगे ? बचाएंगे ?. जनता जो भोली थी, सियार और गीदर में फर्क नहीं जानती थी। या जनता को फ़िक्र नहीं थी। वो खुश थी क्यूंकि कुछ का पेट भरा था ,कुछ के पास आधा ज्ञान था ,


ऋतुएं है चार दिन की ढल जाएंगी,
प्रीत की बातें हरपल याद आएंगी
चलो आज उन यादों को याद करते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं,
जीवन संगीत लिखते हैं।


रिश्तों में औरों के विष बोने पर
फ़र्क पड़ता है ।
हम किसको समझाते हैं,
हम किसको दिखाते हैं,
किस लिए डालते हैं ,
एक झूठ का आवरण ।
शायद खुद के लिए
क्योंकि किसी और को वाकई
कोई फ़र्क नही पड़ता है ।


कल्पतरू (KALPTARU) - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY - www.prkshsah2011.blogspot.in
निश्चल मन,
शुद्ध विचार,
प्रेम भाव,
या जग से परे कुछ कल्पित भाव
की इच्छा पूर्ती करने वाला
एक वृक्ष ही है
एक ‘कल्पतरू’ ही है।


हमने यादों का उसके जेवर गढ़ा तन पे सजा लिया
इक वो है हमारी याद में इक नया रिश्ता बना लिया,

उसके इक लफ़्ज के भरोसे पर कायम हूँ आज तक
इक वो है बिना हमारे ही इक नई दुनिया बसा लिया,




तेरे गुस्से पर भी उसे गुस्सा आता नहीं 
मगर तेरा बचपना है कि जाता नहीं 
तेरे दर्द से पिघलती है जो दिन-ब-दिन 
उसकी हूक का मर्म तुझे समझ आता नहीं
...
आज बस इतना ही
कल की कल ही देखेंगे
सादर



5 comments:

  1. तुलसी विवाह की शुभकामनाएँ..
    उम्दा प्रस्तुति...
    सादर..

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  2. सुंदर और सारगर्भित सूत्रों से सजा बहुत सुंदर अंक है दी।

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  3. इतनी बेहतरीन रचनाओं के साथ, मेरी रचना को भी स्थान दिया आपने....इसके लिए सहृदय आभार आपका।

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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